जब विवेकानंद ने गोरक्षकों से कहा ‘अगर मेरे पास कभी पैसा हुआ तो सबसे पहले उसे इंसान की सेवा के लिए ख़र्च करूँगा’
नासिरूद्दीन बात फरवरी 1897 की है। कोलकता का बाग़ बाज़ार इलाका। स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के एक भक्त प्रियनाथ के घर पर बैठे थे। रामकृष्ण के कई भक्त उनसे मिलने….