कैमरे का अविष्कार 19वीं सदी में हुआ। कैमराजीवी सर खुद भी आज़ादी के बाद पैदा हुए और उनकी पार्टी जुमा-जुमा तीन दशक पहले 1980 में बनी. लेकिन सनातन धर्म का इतिहास करीब 5 हजार साल से ज्यादा पुराना है। सनातन धर्म कैमरे और तमाशे का मोहताज नहीं है। धर्म रक्षा कैमरे से नहीं, धर्म को धारण करने से होगी। जो सनातन धर्म की रक्षा करने का ठेका लेकर निकले हैं, वे खुद 5 मिनट ध्यान लगाकर पूजा नहीं कर सकते। धर्म सिर्फ पूजा नहीं है। सनातन धर्म सिर्फ एक अरबपति फ़क़ीर का चुनावी आयोजन नहीं है।
धारयते इति धर्म: यानी जिसे आप धारण करते हैं। लेकिन धारण तो आप बहुत कुछ करते हैं। वह सब धर्म नहीं है। पाखंड, आडंबर, झूठ, छल-प्रपंच और धर्म की सियासी तिजारत अधर्म है। वे खुद पूजा करें या न करें, लेकिन वे जिस धर्म को आगे बढ़ा रहे हैं, वह विशुद्ध अधर्म है, क्योंकि उसमें वैमनस्य और बैरभाव है।
आपके सनातन धर्म पर सियासत हमला कर रही है। इसे आपको पहचानना है और इस हमले से अपने धर्म को बचाना है। कैमरे के बारे में शास्त्रों में तो कुछ नहीं लिखा है क्योंकि जब कैमरा आया, हमारे सारे ग्रंथ उसके बहुत पहले लिखे जा चुके थे। लेकिन आस्था के बारे में लिखा है, जिसका सार ये है कि श्रद्धा के एक फूल चढ़ाकर भी ईश्वर को पा सकते हैं।
ईश्वर की पूजा के लिए मन की पवित्रता बड़ी चीज है। निरीह जनता के हिस्से का अरबों रुपए उड़ाना और पूजा-पाठ में मन न लगाकर कैमरे को कनखियाना अधर्म तो है ही, राजधर्म के साथ द्रोह तो है ही, अलोकतांत्रिक भी है। यह उच्च कोटि का राजनीतिक भ्रष्टाचार है, जिसे धर्म का लबादा पहना दिया गया है ताकि आप सवाल न पूछें।
कल एक बाबा जी का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे कह रहे हैं कि एक परसेंट सिख खतरे में नहीं हैं, एक परसेंट ईसाई खतरे में नहीं हैं, 80 परसेंट हिंदू कैसे खतरे में हैं? तर्क करना सीखिए। अगर सबसे मजबूत आदमी से कहा जा रहा है कि तुम्हें तुम्हारे घर के छोटे-छोटे बच्चों से खतरा है तो ऐसा कहने वाला आपको टोपी पहना रहा है। धर्म असली धार्मिक बचाते हैं। राजनीति के व्यापारी सब बेचते हैं। वे सिर्फ बेचना जानते हैं। वे आपकी आस्था भी बेच देते हैं और मौका लग जाये तो देश की संपत्तियां या देश भी बेच देते हैं।
असली हिंदू और हिंदुत्ववादियों में फर्क करना सीखिए। हिंदुत्ववादियों का आपके हिंदू धर्म से बस इतना ही लेना-देना है कि इसकी आड़ में वे आपको उल्लू बनाकर आप पर शासन करना चाहते हैं। जागरूक बनें, तरक्की करें।
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं, विचार निजी हैं)