शाहिद नकवी
फैज़ाबाद के मोहम्मद शरीफ चचा को राष्ट्रपति ने पद्मश्री पुरस्कार से किया सम्मानित है।फैज़ाबाद के चाचा शरीफ़ के जवान बेटे की 26 साल पहले ह’त्या हुई थी जिसकी लाश भी उन्हें नही मिली,बेटे की लाश लावारिस होने के बाद से चाचा शरीफ़ अब तक 25000 से अधिक लावारिश लाशों को उनके धर्म के अनुसार दफनाने का कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं।
President Kovind presents Padma Shri to Shri Mohammad Shareef for Social Work. He is a cycle mechanic turned social worker. He performs last rites of unclaimed dead bodies of all religions with full dignity. pic.twitter.com/ccJlTIsqNH
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 8, 2021
इसके अलावा कर्नाटक में सड़क किनारे संतरा बेचने वाले हरेकाला हजब्बा को भी पद्मश्री मिला। उन्होंने संतरे बेच कर अपनी जमा पूंजी से गांव में एक स्कूल बनाया है।यही नहीं पद्मश्री सम्मान से नवाजी गई आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा कर्नाटक की रहने वाली हैं। पर्यावरण की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है।
उन्होंने अकेले ही 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं।वो पिछले 6 दशकों से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल हैं।ऐसे लोग सम्मान के तो हकदार हैं ही, लेकिन मोदी सरकार भी इस मामले में साधूवाद की हकदार हैं कि उसने समाज को दिशा देने वाले अपने इलाके के अलावा देश के लिए एकदम अंजान लोगों को तलाशा, फिर उनके समाज को दिशा देने वाले कामों के महत्व को समझा और देश के प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
ये चुनिंदा हस्तियां सम्मानित नहीं हुई है वरन समाज सम्मानित हुआ है।मोदी सरकार के इस प्रयास से आगे भी लोगों को समाज को दिशा देने वाले काम करने की प्रेरणा मिलेगी।