पूर्व IPS विजय शंकर सिंह का सवाल, चीन से वार्ता में क्या हमने अपना भूभाग गंवा दिया है?

रक्षा विशेषज्ञ, ब्रह्म चेलानी ने कहा है कि, “भारत चीन सीमा विवाद के अभी हुए समझौते में भारत का नुकसान हुआ है और चीन ने इस समझौते से लाभ उठाया है।” ब्रह्म चेलानी के आकलन से तो यही लगता है। उनका ट्वीट थ्रेड जो 7 अगस्त का है को देखें। उन्होंने पीपी17ए पर दोनों देशों के पीछे हटने से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति पर अपनी टिप्पणी की है, “भारत की तरफ से घोषित ताजा गोगरा डिसइन्गेजमेंट (विघटन या पीछे हटने की प्रक्रिया) जुलाई 2020 गलवान और फरवरी 2021 के पैंगोंग क्षेत्र के विसैन्यीकरण के जैसी है। यह चीन को सचमुच दो बार जीतने की अनुमति देता है।

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चीन पहले अतिक्रमण करता है, फिर यथास्थिति को औपचारिक रूप देते हुए भारत पर बफर जोन थोपता है।” ” यह चीन की जीत पर जीत है। पहला- गलवान सौदा एलएसी में थोड़े बदलाव के साथ तीन किमी चौड़ा बफर जोन बनाता है। भारत अपने पैट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 तक पहुंच खो देता है। दूसरा- पैंगॉन्ग सौदा भारत को रणनीतिक कैलाश हाइट्स को खाली करने के लिए मजबूर करता है, जबकि तीसरा- गोगरा सौदा पांच किमी का बफर बनाता है, जिससे भारत पीपी-17 ए तक पहुंच खो देता है।”

हमें क्या हासिल हुआ?

भारत चीन सीमा विवाद पर हाल ही में जो बातचीत औऱ विवाद का समाधान उभय पक्ष में हुआ है, उसमे भारत को नुकसान हुआ है और चीन को लाभ। यह भारतीय कूटनीति की पराजय है कि मोदी शी जिनपिंग के बीच इतने अच्छे रिश्ते रहने के बावजूद, भारत चीन के सामने अपना इलाका गंवाता नज़र आया। चीन हथेली और पांच अंगुलियों वाले माओ के सिद्धांत पर आज भी टिका है पर हम कहाँ टिके हैं, यह शायद सरकार को भी पता नहीं है। भाजपा के ही सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि, “मोदी सरकार को चार काम करने चाहिए।

  • पहले तो सरकार को मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई 18 मुलाकातों को लेकर व्हाइट पेपर प्रकाशित करना चाहिए।
  • दूसरे, उन्हें अपनी ‘कोई आया नहीं कोई गया नहीं’ टिप्पणी को वापस लेना चाहिए।
  • तीसरे, भारत द्वारा चीन को आक्रामक घोषित करते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी देनी चाहिए और
  • चौथी, फेक आईडी ट्विटर ग्रुप की जांच की जानी चाहिए।”

एक अन्य ट्वीट में सख्त टिप्पणी करते हुए बिना नाम लिये मोदी सरकार से पूछा कि- “आखिर हम कब तक कतराते रहेंगे। कब तक हम भारत और चीन की सेनाओं के आपसी सहमति से पीछे हटने की ख़बरों का छल करते रहेंगे। क्या चीनी सैनिक देपसांग से पीछे हट गए हैं। नहीं, वह वहां बने हुए हैं।”

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन ने गोगरा में करीब 15 महीनों तक तनाव की स्थिति रहने के बाद एक साथ कदम पीछे करने पर रजामंदी जताई है। इलाके में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए दोनों तरफ की सेनाओं ने अपने अस्थायी ढांचों को गिरा दिया, साथ ही दोनों की रजामंदी से नो पेट्रोलिंग जोन भी बनाया गया है जहां सैनिक गश्त नहीं करेंगे।

वहीं दूसरी ओर देपसांग में विवाद जस का तस कायम है। कुछ इलाकों पर चीन ने अपनी सेनाओं को पीछे करने की रजामंदी जताई है लेकिन देपसांग और डेमचोक इलाके में भारतीय सीमा में बने अपने तंबुओं को हटाने की चर्चा को खारिज़ कर दिया है। चीनी सेना, इस इलाके में भारत की सेना को गश्ती करने से रोक रही है। देपसांग का इलाका दौलत बेग ओल्डी को काराकोरम दर्रे की तरफ है। मीडिया सोर्स के मुताबिक चीन ने भारतीय सीमा के 18 किलोमीटर अपने तंबू लगाए हैं। सेना का कहना है कि जल्द ही चीन के साथ देपसांग और डेमचोक को लेकर चर्चा तेज की जाएगी।