नई दिल्लीः इंग्लैंड स्थित चीनी दूतावास के सामने उइगर मुसलमानों के लिये प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन चीन द्वारा अल्पसंख्यक उगर मुसलमानों के उत्पीड़न के ख़िलाफ हुआ, जिसमें शामिल होने वाले लोगों ने “Stand4Uyghur” लिखी तख़्तियां थामीं हुईं थीं। इस विरोध प्रदर्शन में शामिल सैंक़ड़ों प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को यूनाइटेड किंगडम की राजधानी में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में शामिल एक उइगर मुस्लिम आसिया ने ब्रिटेन में शरण मांगी और कहा कि उसका असली नाम इस्तेमाल नहीं किया जाए। इस प्रदर्शन में उसने भी “Stand4Uyghur” लिखी एक तख्ती पकड़ी हुई थी।
मिडिल ईस्ट मॉनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक़ आसिया ने बताया कि “हम हर महीने यहां दूतावास के बाहर चीन के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करने आते हैं, जिसमें सिर्फ बीस लोग ही होते हैं,”।लेकिन अपने उइगर भाइयों और बहनों के लिए सैकड़ों लोगों को खड़े होते देखकर, मुझे बहुत खुशी हुई हमें उम्मीद है कि हमारा उत्पीड़न समाप्त हो जाएगा।”
पूर्वी लंदन स्थित फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट इस्लामिक सोसाइटीज और 50 से अधिक मुस्लिम संगठनों ने एक साथ आकर उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने का आह्वान किया है। इनका कहना है कि चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में उइगर मुस्लिम लोगों के इस्लामी रीति-रिवाजों को खत्म करने और अल्पसंख्यकों को जबरन शिविरों में कैद किया गया है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करने वाले उइगरों को नमाज़ पढ़ने, रोज़ा रखने, शराब से परहेज करना, दाढ़ी बढ़ाना या इस्लामी कपड़े पहनने को लेकर भी चीन द्वारा हिरासत में लिया गया है।
बीते वर्ष सितंबर महीने में आई एक रिपोर्ट में पाया गया कि चीन ने उइगर मुसलमानों को बंदी बनाने के लिए 380 जेल कैंप बनाए थे। चीन के एक विद्वान ने एड्रियन ज़ेनज़ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन उइगर महिलाओं की नसबंदी कर रहा है और हजारों मुसलमानों को कैद कर रहा है। उधर चीनी अधिकारियों ने शिनजियांग में इन तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है, चीनी अधिकारियों ने इन शिविरों को “व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूल” कहा और कहा कि उन्हें “धार्मिक उग्रवाद” से निपटने के लिए स्थापित किया गया था।
बनाया जा रहा आतंक का माहौल
पिछले साल, एसोसिएटेड प्रेस की एक जांच में पाया गया था कि बच्चे पैदा करने के आसपास “आतंक का माहौल” बनाया जा रहा था, जिसमें उइगरों को बहुत अधिक बच्चे होने के कारण नजरबंदी शिविरों में नजरबंदी की धमकी दी गई थी। जांच में यह भी पाया गया कि जन्म दर में एक अभूतपूर्व और नाटकीय गिरावट आई है, जिससें शिनजियांग प्रांत की जनसंख्या गतिशील चीन के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से सबसे धीमी गति से बदल रही है। साक्ष्य से यह भी पता चलता है कि उइगर पर परिवार नियोजन कानूनों के उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना भी लगाया गया था।
क्या कहती है आसिया
गुरुवार को चीनी दूतावास के सामने हुए प्रदर्शन में शामिल एक चीनी छात्र जोनाथन ने कहा कि यह “अनिवार्य” था कि अंतरराष्ट्रीय चीनी छात्र मुस्लिम अल्पसंख्यक का समर्थन करने के लिए ब्रिटेन में अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करते हैं। जोनाथन ने कहा, “शिंजियांग में लोगों के लिए सुरक्षा की स्थिति हांगकांग की तुलना में कहीं अधिक खराब है।” उन्होंने कहा कि “हम अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए इंग्लैंड आए थे, और हमें उस स्वतंत्रता का उपयोग सीसीपी के खिलाफ खड़े होने के लिए करना चाहिए। चीन में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के ख़िलाफ आवाज़ उठाने वाली आसिया को अपनी और अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा का डर है।
आसिया शिनजियांग उइघुर क्षेत्र की राजधानी उरुमकी शहर की रहने वाली हैं, उन्होंने 2003 में जापान में अध्ययन करने के लिए चीन छोड़ दिया था। वे आखिरी बार 2010 में अपने गृहनगर आई थीं। आसिया बताती हैं कि “मैंने 2010 में चीन छोड़ने के बाद से अपनी मां को नहीं देखा है, और अगर मैं [मेरे परिवार] को फोन करती हूं, तो मुझे चिंता है कि चीनी उन्हें फिर से शिविर में ले जाएंगे। जानकारी के लिये बता दें कि अमेरिका, कनाडा और डच संसदों ने उइगरों के खिलाफ बीजिंग की कार्रवाई को “नरसंहार” करार दिया है, जिसमें वाशिंगटन ने कई चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। चीन ने नरसंहार के आरोप को खारिज किया है और पश्चिमी देशों को उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी है।