Category: शख़्सियत

यादों में महाशय: पांचवी फेल लेकिन कारनामे ऐसे कि सरकार ने पद्मभूषण से नवाज़ा

हम चटोरों के देश का असली बादशाह था यह सींकिया बूढ़ा. सुनहरी मूठ वाली नफीस छड़ी और राजस्थानी साफे को उसने अपने कॉस्टयूम का जरूरी हिस्सा बना लिया था. वह….

मौलाना महमूद हसन: वह महान स्वतंत्रता सेनानी एंव विद्वान जिनके प्रयास से वजूद में आया जामिया और दारुल उलूम

साकिब सलीम मौलाना महमूद हसन 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत के सबसे शानदार मुस्लिम विद्वानों में से एक थे। इस्लामी धर्मग्रंथों पर उनके अध्ययन को काफी….

बुशरा बानो: दो बार पास की UPSC की परीक्षा, एक बार UPPCS परीक्षा में रहीं टॉपर्स और अब बनीं IPS, पढ़ें ये रोचक स्टोरी

आस मोहम्मद क़ैफ़ भारत की सबसे प्रेरणादायक बेटियों में से एक बुशरा अरशद बानो ने एक और कमाल कर दिया है। सोमवार को सिविल सर्विस के सीट आवंटन के बाद….

जन्मदिन विशेष: अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा देने वाले टीपू सुल्तान, जिन्होंने आख़िरी सांस तक हथियार नहीं डाले…

रेहान फज़ल मैसूर के शेर नाम से मशहूर टीपू सुल्तान 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनहल्ली में पैदा हुए थे। मशहूर इतिहासकार कर्नल मार्क विल्क्स लिखते हैं कि ‘टीपू….

जब नेहरू ने कहा था, “मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा लेकिन कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा”

साम्प्रदायिकता जितनी मजबूत होगी, जवाहरलाल नेहरू इतिहास में उतने ही महत्वपूर्ण होते जाएंगे। क्योंकि इतिहास के पन्नों में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने की सबसे प्रभावशाली जिद का नाम….

जन्मदिन विशेष: अभिनय संघर्ष से लेकर दरियादिली तक लाजवाब हैं अमजद ख़ान

प्रबोध सिन्हा अमजद खान का जन्म 1943 में (विभाजन से पूर्व) लाहौर में हुआ था। वह भारतीय फिल्मो में जाने-माने अभिनेता जयंत के पुत्र थे। अभिनेता के रूप में उनकी….

हनीफ़: गावस्कर, तेंदुलकर से भी पहले हुए थे ओरीजिनल लिटिल मास्टर

वीर विनोद छाबड़ा बल्लेबाज़ी लहीम-शहीम की बपौती कभी नहीं रही. छोटे कद के सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर ने तो बल्लेबाज़ी के कई रिकॉर्ड बनाये. उन्हें लिटिल मास्टर कहा गया…..

जन्मदिन विशेष: जब मौलाना आज़ाद ने कहा था, “मुसलमान और बुज़दिली एक जगह जमा नहीं हो सकते”

मुसलमान और बुज़दिली एक जगह जमा नहीं हो सकते. सच्चे मुसलमान को कोई ताक़त हिला नहीं सकती है. और न कोई खौफ़ डरा सकता है. चंद इंसानी चेहरों के गायब….

रवीश का लेख: राम मोहम्मद सिंह आज़ाद और शहीद उधम सिंह का आज का भारत

जिस समय शूजीत सरकार की फ़िल्म उधम सिंह देखी जा रही है, वह समय उन आदर्शों के ख़िलाफ़ हो चुका है जिसमें कोई क्रांतिकारी अपने हाथ पर गुदवा ले कि….

तुफ़ैल नियाज़ी: आवाज़ का वह जादूगर जिसको सुनना मोहब्बत करने जैसा है!

जब रांझे से मिलने की सारी उम्मीदें ध्वस्त हो जाती हैं, हीर के दिल से इस अहसास का दर्द रिसना शुरू होता है कि ढूंढ़ते-ढूंढ़ते मुझे भगवान तो मिल गया….