Category: चर्चा में

पूर्व IPS का लेख: क़ानून के राज के खत्म हो जाने का प्रतीक है बुलडोजर

लम्बे समय से देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम या आपराधिक न्याय प्रणाली की विफलता, खामियों और जन अपेक्षाओं के अनुरूप उसे लागू न करने को लेकर सवाल उठते रहे हैं….

महंगाई, बेरोजगारी से ध्यान हटाने के लिए दंगों का सहारा

निराशा मानवीय स्वभाव है मगर हम भारतीयों पर ज्यादा असर करती है। इन दिनों हर जगह एक ही चर्चा है कि नफरत का जहर नीचे तक पहुंच गया है अब….

डॉ. अभय कुमार का लेख: मुसलमानों पर हो रहे हमलों के खिलाफ गैर मुस्लिमों को आगे आने की जरूरत है

इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों से भयानक खबर मिल रही हैं. जहां मुस्लिम घरों में कानून का उल्लंघन कर बुलडोजर चलाया जा रहा है वहीं दक्षिणपंथी तत्व धर्म की….

रवीश का लेखः यूक्रेन में तबाह मकानों के बीच दिग दिगंत कूदंत पत्रकारिता का उदय

इस पत्रकारिता के तहत जहां से कूद कर जहां तक जाना होता है, वहाँ से कूद कर वहाँ तक वापस भी आना होता है। कूदंत पत्रकारिता बंदरों को मानव सभ्यता….

सत्ताधारी यही चाहते हैं कि मुसलमान दोयम दर्जे के नागरिक बन जाएं!

मुस्लिम मुहल्ल्लों में धार्मिक जुलुस और उसके बाद बवाल की कई घटनाएँ सामने आ रही हैं। हर जगह मस्जिद या मुस्लिम बाहुल्य बस्ती से पथराव होता है और उसके बाद….

ये क्रोनोलॉजी 164 साल पुरानी है इसके तार अंग्रेजों से जुड़े हैं।

साल था 1857, यही आज वाली दिल्ली थी। शायर मिजाज बादशाह बहादुर शाह जफर दिल्ली की गद्दी पर हुआ करते थे। मंगल पांडेय के साथ भारतीय सैनिकों ने अंगरेज बहादुर….

रवीश का लेख: हिन्दी मीडियम वालों के कंधे पर हिंसा का भार लाद दिया गया है, इंग्लिश मीडियम वाले लाइफ़ का लुत्फ़ ले रहे हैं।

पीयर्स साबुन 20 प्रतिशत महँगा हुआ है। लाइफब्वॉय साबुन भी महँगा हो गया है। डिटर्जेंट भी 30 से 60 रुपये तक महँगा हो गया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने छापा है।….

रवीश का लेख: जो समाज अपने घर के भीतर हिंसा करता है, उसे मान्यता देता है, वह समाज हिंसा की निंदा क्यों करेगा?

न्यूज़ आध्यात्मिकता क्या है? आपने देखा होगा कि अब ऐसी ख़बरें कम होती हैं जो खोज कर लाई होती हैं। जो सरकार की संस्थानों के भीतर फ़ैसलों की प्रक्रिया का….

अब छत्तीसगढ़ की फिज़ा में भी जहर घोलने की तैयारी…!

राजकुमार सोनी अभी कुछ दिन पहले आप सबने यह देखा कि किस तरह से उन्मादी भीड़ ने एक समुदाय विशेष के धार्मिक स्थलों का घेराव कर नारेबाजी की, अपना झंडा….

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से झंडा फहराने की परंपरा का कारण

विनय कुमार नायक (चिल्लूपार, गोरखपुर) लालकिला जो भारत के ऐतिहासिक धरोहरो में से एक है। यह शाहजहाँ द्वारा सन 1638 ई०-1648 ई० में यमुना नदी के किनारे वास्तुविद उस्ताद अहमद….