जिस वक्त देश में तकरीबन 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं, करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई है, उस वक्त गौतम अडानी पिछले एक साल से रोजाना 1002 करोड़ की कमाई रहे हैं. पिछले साल यानी 2020 में गौतम अडानी की संपत्ति में करीब 50 अरब डॉलर का इजाफा हुआ जो कि एक साल में दुनिया भर के किसी भी अरबपति की तुलना में सबसे ज्यादा था.
नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से लेकर नवंबर 2020 तक अडानी की संपत्ति में 230% का इजाफा हुआ. पिछले एक साल में अडानी की संपत्ति में 261 फ़ीसदी का इजाफा हुआ. अब उनकी संपत्ति बढ़कर 5,05,900 करोड़ रुपये हो गई है. एक साल पहले अडानी की संपत्ति 1,40,200 करोड़ रुपये थी.
जनवरी 2021 में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने आरोप लगाया कि “अडानी ग्रुप के पास बैंकों का 4.5 लाख करोड़ रुपये एनपीए के रूप में बकाया है. हर दो साल में इस समूह की संपत्ति दोगुनी होती जा रही है, फिर भी वे जिन बैंकों का कर्ज लिए हुए हैं उसका कर्ज क्यों नहीं चुका रहे हैं? हो सकता है कि जल्दी ही जिस तरह उन्होंने छह एयरपोर्ट खरीदे हैं, उसी तरह उन सभी बैंकों को भी खरीद लें जिनके वे कर्जदार हैं.”
जिस समय आजाद भारत का सबसे भयानक पलायन हुआ और लोगों को खाने के लाले पड़ गए, बिजनेस व्यापार सब ठप था, उस दौरान भी अडानी की संपत्ति बुलेट ट्रेन हो गई थी. जब सारी सर्विसेज, व्यापार और उद्योग बंद थे तो अंबानी-अडानी के पास पैसा आ कहां से रहा था? (ये सवाल मेरी अज्ञानता का नतीजा हो सकता है.)
पिछले साल में भारत में 179 नए लोग अरबपतियों की सूची में शामिल हुए हैं. कोरोना संकट के दौरान देश में अरबपतियों की संख्या 1,000 के पार चली गई. सार संक्षेप ये है कि जिस दौरान जनता तेजी से गरीब हो रही है, मुट्ठी भर लोग तेजी से अमीर हो रहे हैं. यही आज के विकास की सच्चाई है. सार्वजनिक नारा है- ‘सबका साथ, सबका विकास’. लेकिन गुप्त नारा है- ‘हम दो, हमारे दो. बाकी लोग आत्मनिर्भर बनो’.
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं)