हर बीजेपी समर्थक का एक दिन यही हाल होना है जैसा त्रिपुरा के विधायक आशीष दास का हुआ. आशीष दास ने बीजेपी सरकार के “कुकर्मों के लिए पश्चाताप” करते हुए अपना सिर मुंड़वाया, कोलकाता के कालीघाट मंदिर में जाकर यज्ञ किया और पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया.
उनके मुताबिक, राज्यवासी सरकार के कामकाज और प्रदर्शन से नाखुश हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है. “आज मैंने भाजपा सरकार के कुशासन के पश्चाताप के रूप में अपना सिर मुंडवा लिया है. मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है.”
खबर है कि आशीष दास तृणमूल ज्वाइन कर सकते हैं. सिर मुंडवाना हो सकता है कि उनका राजनीतिक स्टंट हो, लेकिन उनके आरोप सही हैं. बीजेपी इस देश को नफरत, हिंसा, अपराध, अराजकता और भीड़तंत्र के ब्लैकहोल में झोंक रही है. कानून के शासन का खात्मा किया जा रहा है. संविधान और संवैधानिक पदों को कलंकित किया जा रहा है.
सोचिए कि गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा और शांति के लिए जिम्मेदार है लेकिन यहां पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ही किसानों को सरेआम मंच से धमकाते हैं. इसके बाद उनका शहजादा अपनी अमीरी और ताकत की सनक में किसानों को गाड़ी से रौंद देता है. उसे यकीन था कि उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता.
मुख्यमंत्री के पद पर बैठा एक व्यक्ति अपने कार्यकर्ताओं से लट्ठ उठाने और किसानों को सबक सिखाने का आह्वान करता है. पार्टी उसकी निंदा तक नहीं करती, पद से हटाने की बात बड़ी दूर की है.
उस नरसंहार को चार दिन होने को हैं. आठ लाशें गिरी हैं. लेकिन अभी तक पुलिस ने न किसी को गिरफ्तार किया है, न किसी भी एक आरोपी को पकड़ा है. मंत्री के बेटे को छोड़िए, किसी उसके पंटर को भी नहीं पकड़ा है. आरोपी का दावा है कि न पुलिस उसके घर आई, न ही उसे फोन किया.
गोरखपुर कांड में छह पुलिसकर्मियों ने ही एक निर्दोष व्यक्ति की पीटकर हत्या कर दी. योगी बहुत एक्टिव दिखे, लेकिन मुआवजा देकर मामला शांत हो चुका है. आजतक कोई पकड़ा नहीं गया.
प्रदेश में पहले अपराध पर नियंत्रण के नाम पर हजारों की संख्या में एनकाउंटर किए गए और तमाम लोगों की गैरन्यायिक हत्याएं हुईं. अब हालत ये है कि पुलिस खुद जघन्य अपराधों में संलिप्त दिखती है. हत्या और नरसंहार सबसे बड़े अपराधों में है, लेकिन यूपी पुलिस इतनी बेलगाम है कि ऐसे मामलों में किसी की गिरफ्तारी तक नहीं होती.
बीजेपी देश में अपराध का सरकारीकरण कर रही है. बड़े बड़े ओहदे पर बैठे लोग अपराध, हिंसा और नफरत को हवा दे रहे हैं. बीजेपी ऐसा चाहे जिस मकसद से कर रही हो, लेकिन उनका समर्थन करने वाली आम जनता को क्या मिल रहा है? आप जिस हिंसा और नफरत को देखकर मगन हैं, वह एक दिन आपको भी बर्बाद कर देगी. देश से कानून का शासन खत्म होने का मतलब है कि जीवन का अधिकार दांव पर है.
मनीष गुप्ता को बीजेपी ज्वाइन करके भी पुलिस के हाथों अपनी जान गंवानी पड़ी. किसानों को मंत्रीपुत्र के हाथों जान गंवानी पड़ी. सरकारी संरक्षण में बर्बरता का ऐसा अध्याय लिखा जा रहा है जो पूरे देश को कलंकित करेगा. अब आपको तय करना है कि क्या आपको ऐसा ही देश चाहिए?
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)