अब इस हाई प्रोफाइल मामले में जांच कर रहे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े ने खुद के लिए कानूनी सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने मुंबई पुलिस को ‘Don’t-Arrest-Me’ का खत लिखा है। अपने को फंसाए जाने का डर जाहिर करते हुए उन्होंने कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा मांगी है। इसके साथ ही, इस मामले में, एनसीबी की इस कार्यवाही पर शुरू से ही सन्देह जताने वाले, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री, नवाब मलिक ने आज समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाणपत्र को ट्वीट किया है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार, “इसे लेकर समीर वानखेड़े ने कहा कि मुझे अपने जन्म प्रमाण पत्र को लेकर नवाब मलिक के एक ताजा ट्वीट के बारे में पता चला है. यह उन सभी चीजों को लाने का एक घटिया प्रयास है, जो इस सब से असंबंधित है। मेरी मां मुस्लिम थी तो क्या वह मेरी मृत मां को इस सब में लाना चाहते हैं? मेरी जाति और पृष्ठभूमि को सत्यापित करने के लिए वह, आप या कोई भी मेरे मूल स्थान पर जा सकता है और मेरे परदादा से मेरे वंश का सत्यापन कर सकता है, परन्तु उसे यह गंदगी इस तरह नहीं फैलानी चाहिए. मैं यह सब कानूनी रूप से लड़ूंगा और अदालत के बाहर इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहता।”
हुआ यह कि, आर्यन ड्रग केस में 24 अक्टूबर की शाम को एनसीबी के संयुक्त निदेशक समीर बानखेड़े ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिख कर कोई भी कानूनी कार्यवाही शुरू न करने का अनुरोध किया है। उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि, कुछ असरदार लोग उन्हें जेल भिजवाने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने किसी का नाम तो नही लिया है, पर उनका इशारा महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीबी नेता नवाब मलिक की ओर है, जो इस मामले में शुरू से ही दिलचस्पी दिखाते रहे हैं और समीर बानखेड़े के ऊपर बॉलीवुड से वसूली का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि समीर ने मालदीव और दुबई की यात्रा इसी उद्देश्य से की। हालांकि समीर बानखेड़े ने दुबई की किसी भी यात्रा से इनकार किया है और मालदीव की यात्रा को परिवार सहित छुट्टी मनाने की यात्रा बताया है। पर फिलहाल तो यह सब आरोप और सफाई है। जब तक इन सब मामलों की जांच न हो जाय तब तक कुछ भी कहना अटकलबाजी ही होगी।
अचानक 24 अक्टूबर को दोपहर में टाइम्स नाउ पर आर्यन ड्रग मामले में एक खबर चलने लगी और उस खबर में ड्रग बरामदगी के सर्च मेमो के एक गवाह प्रभाकर सैल के एक हलफनामे का उल्लेख होने लगा। वह हलफनामा, आर्यन ड्रग केस की जांच को और भी संदेहास्पद बना देता है। प्रभाकर ने ही एनसीबी के जेडी समीर वानखेड़े पर, इस पूरे मामले में, वसूली के आरोप लगाए हैं। हलफनामा पूरे सोशल और नियमित मीडिया पर छाया रहा। क्रूज लाइनर ड्रग मामले में पंचनामे, जिसे, फर्द बरामदगी या सर्च मेमो कहते हैं, के एक गवाह प्रभाकर सेल ने केपी गोसावी (एनसीबी छापेमारी में एक निजी व्यक्ति जिसकी आर्यन खान के साथ तस्वीर वायरल हुई थी), जांच अधिकारी और एनसीबी मुंबई के जोनल डाइरेक्टर, के ऊपर, जबरन वसूली के चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। यह आरोप, एक नहलफनामे में संयुक्त निदेशक समीर वानखेड़े और अन्य के खिलाफ लगाए गए हैं।
प्रभाकर ने यह भी कहा है कि वे, केपी गोसावी के निजी अंगरक्षक भी रहे हैं। प्रभाकर ने आरोप लगाया है कि, उन्हें एनसीबी कार्यालय में बुलाया गया था और समीर वानखेंडे ने इस ड्रग बरामदगी के मामले के पंचनामे यानी सर्च मेमो में, गवाह के रूप में हस्ताक्षर करने के लिए कहा था और उनसे, 10 कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए गए। केपी गोसावी और प्रभाकर सेल, शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के दोस्त अरबाज मर्चेंट से, हुयी ड्रग बरामदगी के दो फर्द बरामदगी के गवाह हैं।
प्रभाकर सेल ने अपने, हलफनामे में कहा है कि, “उसने गोसावी को सैम डिसूजा से, यह कहते हुए सुना कि “आप 25 करोड़ रुपये का बम लगाते हैं, 18 करोड़ रुपये में समझौता करते हैं क्योंकि हमें समीर वानखेड़े को 8 करोड़ देना है।” यह घटना 2 और 3 अक्टूबर की दरम्यानी रात को गोसावी के एनसीबी कार्यालय छोड़ने के बाद हुयी बताई गयी है। प्रभकर सेल का कहना है कि “कुछ मिनट बाद उसने पूजा ददलानी (शाहरुख खान के मैनेजर) को केपी गोसावी से बात करते देखा। उनका कहना है कि बाद में गोसावी ने उन्हें 50 लाख रुपये नकद लेने के लिए एक स्थान पर जाने के लिए कहा। वह कहता है कि उसने नकदी के दो बैग एकत्र किए और उसे गोसावी को सौंप दिया।”
आगे वह कहता है, “जब तक हम लोअर परेल पहुंचे (एनसीबी कार्यालय से) केपी गोसावी सैम से फोन पर बात कर रहे थे और कहा कि आपने 25 करोड़ का बम लगाया और 18 फाइनल में मिल गए क्योंकि हमें समीर वानखेड़े को 8 करोड़ देना है। कुछ मिनटों के बाद एक नीले रंग की मर्सिडीज मौके पर आई और मैंने देखा कि पूजा ददजानी (शाहरुख की मैनेजर) कार में आई थी। सैम, केपी गोसावी और पूजा ददलानी मर्सिडीज में बैठकर बात करने लगे। फिर हम सभी 15 मिनट के बाद चले गए ।”
आगे हलफनामे में कहा गया है कि, “हम वाशी पहुंचे और तुरंत केपी ने मुझे इनोवा कार लेने और इंडियाना होटल के पास तारदेव सिग्नल पर जाने और 50 लाख नकद लेने के लिए कहा। मैं सुबह करीब 9:45 बजे उक्त स्थान पर पहुंचा, जहां एक सफेद रंग की कार नंबर 5102 आई और मुझे कैश से भरे 2 बैग दिए। जिसे मैं वाशी को उनके घर ले गया और किरण गोसावी को दे दिया।” प्रभकर ने आगे कहा कि “जब सैम ने गिना तो बैग में केवल 38 लाख रुपये थे। सेल का कहना है कि गोसावी अब गायब है और “एनसीबी अधिकारी मुझे मार सकते हैं या गोसावी की तरह मेरा अपहरण कर सकते हैं, जैसा कि बड़े मामलों में देखा जाता है, गवाहों को अक्सर मार दिया जाता है या ले जाया जाता है और इसलिए सच बताना चाहते हैं”।
हलफनामे में हुए सनसनीखेज खुलासे पर, एनसीबी के उप महानिदेशक ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सूचित किया कि सेल के हलफनामे को “आगे की आवश्यक कार्रवाई” के लिए एनसीबी के महानिदेशक को भेज दिया गया है। जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी है, वह इस प्रकार है, “एनसीबी की मुंबई जोनल यूनिट के अपराध संख्या 94/2021 के गवाह श्री प्रभाकर सेल का एक हलफनामा सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे संज्ञान में आया है। उक्त हलफनामे में, श्री प्रभाकर ने 2 अक्टूबर 2021 को अपनी गतिविधियों के बारे में विवरण दिया है, जिस दिन कि, उपरोक्त अपराध दर्ज किया गया था।
चूंकि वह मामले में गवाह है और जैसा कि मामला माननीय अदालत में है और विचाराधीन है, उन्हे सोशल मीडिया के बजाय माननीय अदालत में अपनी बात प्रस्तुत करने की आवश्यकता थी, अगर उसे कुछ कहना भी है तो। इसके अलावा, हलफनामे में कुछ व्यक्तियों के खिलाफ सतर्कता संबंधी कुछ आरोप भी हैं जो श्री प्रभाकर द्वारा सुनी सुनाई बातों पर आधारित हैं। हमारे जोनल डायरेक्टर, मुंबई जोनल यूनिट, श्री समीर वानखेड़े ने इन आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है। चूंकि हलफनामे की कुछ सामग्री सतर्कता मामलों से संबंधित है, इसलिए मैं शपथ पत्र महानिदेशक को भेज रहा हूं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और उनसे आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए अनुरोध किया गया है।”
घटना की पृष्ठभूमि इस प्रकार है। आर्यन खान को क्रूज ड्रग मामले में 3 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। पिछले बुधवार को मुंबई की एक सत्र अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। हालांकि आर्यन से किसी ड्रग बरामदगी नहीं हुई थी और न ही उसके द्वारा ड्रग सेवन का कोई सबूत ही उपलब्ध था। अदालत ने पाया कि, “आर्यन खान को अपने दोस्त के साथ 6 ग्राम चरस की मौजूदगी के बारे में जानकारी थी कि वह प्रतिबंधित पदार्थ के “सचेत कब्जे” के बराबर है।” कोर्ट ने आगे कहा कि, “उसके व्हाट्सएप चैट से प्रथम दृष्टया ड्रग्स की खरीद के लिए अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता का पता चलता है।” सत्र न्यायालय द्वारा जमानत खारिज किए जाने के बाद खान ने बंबई उच्च न्यायालय का में अपील की है, जहां 26 अक्टूबर को जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी।
यदि इस पूरे मामले की प्रोफेशनल छानबीन करें तो NCB के इस ऑपरेशन में कई ऐसी गलतियां हुयी हैं, जो या तो अनायास हुयी हैं या फिर जानबूझकर सायास की गयी हैं, यह तो, जांच के बाद ही पता चल सकेगा। अब कुछ विंदु देखें-
- हर बरामदगी में दो स्वतंत्र गवाह होते हैं। इस केस में भी हैं।
- इन दो गवाहों में, एक केपी गोसावी है, जो एक निजी जासूस है और प्रभाकर सैल जो उक्त निजी जासूस का अंगरक्षक बताया जाता है।
- गिरफ्तारी में आर्यन खान के पास से ड्रग की कोई बरामदगी नहीं है, जैसा की बताया जा रहा है, पर उसके मोबाइल के व्हाट्सएप चैट से एनसीबी को यह पता लगता है कि वह, इस ड्रग रैकेट में शामिल है।
- गिरफ्तारी के तुरंत बाद ही, आर्यन खान की एक तस्वीर, सोशल मीडिया पर वायरल होती है, जिंसमे केपी बसावी, आर्यन के साथ सेल्फी लेते हुए दिख रहा है।
यहीं यह सवाल उठता है कि कस्टडी में वह गवाह इतना खुलकर सेल्फी कैसे ले रहा है और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहा है? उसे इसकी अनुमति किसने दी?
- सर्च मेमो के गवाह का काम, बस यह तस्दीक करना होता है कि, जब बरामदगी या यह ऑपरेशन हो रहा था तो, वह मौके पर मौजूद था और जो भी वहां हुआ है वह उसका एक स्वतंत्र साक्षी है, और यही उसे अदालत में बताना है। पकड़े गए किसी मुल्जिम से पूछताछ करना और जांच की अन्य किसी भी कार्यवाही में भाग लेना, उसका काम नहीं है। एनसीबी को, उसे, ऐसा, नहीं करने देना चाहिए था।
- इसी प्रकार एक वीडियो भी वायरल है, जिसमें, वह आर्यन खान से किसी की बात एक मोबाइल फोन से करा रहा है। इसका मतलब यह है कि वह आर्यन की कस्टडी में, वहीं, बराबर बना रहा और गोसावी, आर्यन खान की पूछताछ के समय भी, न केवल मौजूद रहा, बल्कि उसने, पूछताछ में भी सक्रिय सहयोग दिया। गवाह को इतनी लिबर्टी क्यों दी गयी ? यहीं उस गवाह की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़ा होता है कि, कहीं वह एनसीबी का पेशेवर गवाह तो नहीं है?
- इसी मामले में एक भाजपा नेता प्रदीप भानुशाली का भी नाम आ रहा है। प्रदीप भानुशाली को समीर वानखेड़े का करीबी भी बताया जा रहा है। ऐसा व्यक्ति, जो किसी पार्टी विशेष से जुड़ा हो, वह जब भी, किसी मामले में स्वतंत्र रूप से भी, दिखेगा तो, विवाद खड़ा होगा ही। क्या एनसीबी को इसका अंदाज़ा नहीं था?
- अब इसी मामले का गवाह केपी गोसावी, गायब हो गया है और एक अन्य गवाह, प्रभाकर ने हलफनामा देकर कह दिया है कि उसने ₹25 करोड़ की वसूली की बात सुनी है और कुछ पैसे शाहरुख खान के सेक्रेटरी से, लिए भी गए हैं, और इसमे ₹8 करोड़ समीर बानखेड़े को मिलने है तो, हंगामा तो मचना ही था।
यह रेड किसी सामान्य पेशेवर क्रिमिनल को पकड़ने के लिये नही की जा रही थी कि, लोग उस पर कोई सवाल भी नहीं उठाते। यह रेड शाहरुख खान के बेटे और कुछ बड़े अमीरपुत्रो की क्रूज पार्टी पर, ड्रग की तलाश में की जा रही थी। अतः ऐसी महत्वपूर्ण रेड की चर्चा तो होनी ही थी। यदि एनसीबी ऐसे हंगामे का अंदाज़ नही लगा पायी थी तो, यह उसकी कमी है। अब एक गवाह के गायब हो जाने, एक गवाह द्वारा, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के संयुक्त निदेशक पद के अधिकारी पर वसूली का आरोप लगाने, एक गवाह का एक राजनीतिक दल से जुड़े होने, आर्यन खान के पास से कोई ड्रग बरामद न होने से, अब इस पर एनसीबी खुद ही विवादों के घेरे में आ गयी है। ब्यूरो को, रेड के समय, गवाह का चयन करते समय और मुल्ज़िम से, पूछताछ के वक़्त, जो सतर्कता बरतनी चाहिए थी, वह नही बरती गयी।