हष्ट-पुष्ट शरीर के मालिक युसुफ पठान का बल्ला अब घरेलू क्रिकेट में भी नहीं गरजेगा। जिस खिलाड़ी ने अपनी राज्य टीम बड़ौदा के लिए कई यादगार पारियां खेली और गेंद से बेहतर प्रदर्शन कर जीत दिलाई हो उसे मैदान से विदा लेने का सम्मानजनक मौका भी नहीं दिया गया।कोरोना महामारी के कारण इस साल घरेलू क्रिकेट का बड़ा हिस्सा प्रभावित रहा।सै मुश्ताक अली ट्राफी और विजय हजारे ट्राफी का आयोजन बीसीसीआई ने किया, लेकिन बड़ौदा के चयनकर्ताओं ने युसुफ को इन दोनों टुर्नामेंटो के लिए भी टीम में शामिल नहीं किया। जिससे ये विस्फोटक बल्लेबाज गहरी निराशा मे था।ऐसा नहीं है कि 38 साल के इस खिलाड़ी का पिछला रिकॉर्ड खराब हो। इरफान पठान के साथ भी बड़ौदा में ऐसा ही बर्ताव किया गया था जिससे वह जम्मू-कश्मीर से खेलने लगे थे।
युसुफ के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड है जो गवास्कर, सचिन तेंदुलकर, सहवाग या लक्ष्मण के नाम भी नहीं है। क्रिकेट इतिहास में ऐसे कई रिकॉर्ड्स रहे हैं जिसे तोड़ पाना मुश्किल है। यूसुफ पठान क्रिकेट इतिहास के ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने आईसीसी वर्ल्डकप के फाइनल में डेब्यू किया और साथ ही चैंपियन भी बने थे। साल 2007 के टी-20 वर्ल्डकप के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ यूसुफ पठान ने अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज किया और साथ ही डेब्यू मैच में विश्व चैंपियन भी बने।यह क्रिकेट इतिहास का पहला मौका रहा जब किसी खिलाड़ी ने वर्ल्डकप फाइनल में डेब्यू भी किया और चैंपियन का रूतबा भी हासिल किया।
महज़ 15 गेंदों पर अर्धशतक और केवल 37 गेंदों पर शतक का उनका रिकॉर्ड आईपीएल में कई सालों तक रहा। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2011 में उनकी शतकीय पारी को क्रिकेट को अपनी दृष्टि से देखने वालों को याद होगा।जब 8 छक्कों और 8 चौकों के सहारे उन्होंने 70 गेंदों पर 105 रन ठोकें थे। जहीर के साथ नौवें विकेट के लिए 100 रन भी जोड़े थे।यूसुफ जब अपने सुनहरे दौर में थे तो अपने दम पर मैच जिताने का दम रखते थे. उनका क्रीज पर टिके रहना गेंदबाजों के लिए सबसे बड़े खतरा होता था।
उन्होंने बड़ौदा के लिए रणजी ट्रॉफी में एमपी के खिलाफ दोनों पारियों में शतक जड़ा और दिलीप ट्रॉफी में पहली पारी में शतक और दूसरी पारी में दोहरा शतक भी पश्चिम क्षेत्र के लिए जड़ा था।उनके अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड उनकी प्रतिभा, क्षमता और घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन जैसा नहीं है। लेकिन शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को चयनकर्ताओं को सम्मान से विदाई लेने का मौका जरूर देना चाहिए। यूसुफ पठान ने अपने करियर में 57 वनडे और 22 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले. इसके अलावा यूसुफ ने 174 आईपीएल मैच खेले हैं।
(लेखक आकाशवाणी के पूर्व क्रिकेट एंव फुटबाल कमेंटेटर हैं)