लखनऊः यूपी सरकार ने पटाखों की बिक्री और उपयोग पर नई दिल्ली स्थित एनजीटी के आदेश का तत्काल पालन करने एवं दीपावली मनाने के लिए डिजिटल/लेजर आदि नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं. मंगलवार सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने इस संबंध में प्रदेश के पुलिस विभाग के सभी अधिकारियों को एनजीटी के आदेश का पालन किए जाने के निर्देश दिए हैं.
आदेश में उन जनपदों का जिक्र है जिनके वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) पर एनजीटी ने चिंता जताई थी. ये जनपद क्रमश: मुजफ्फरनगर (एक्यूआई खराब), आगरा, वाराणसी, मेरठ, हापुड़ (बहुत खराब) तथा गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बागपत तथा बुलन्दशहर (गंभीर) हैं. इन जनपदों में एनजीटी के आदेश का पालन करते हुए दीपावली मनाने के लिए डिजिटल/लेजर आदि नई तकनीक का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं. शासन के निर्देशों में यह भी कहा गया है कि जिन जनपदों में एक्यूआई थोड़ा बेहतर है वहां केवल हरित पटाखे ही बेचे जाएं.
बता दें कि दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मंगलवार को भी वायु गुणवत्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में बनी रही. वहीं, हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने की वजह से दिन में भी अंधेरा छाया हुआ है. इस प्रकार एनसीआर के 14 शहर ‘डार्क जोन’ या खतरनका श्रेणी में हैं. प्रदूषण सूचकांक ऐप समीर के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रमुख शहरों में नोएडा मंगलवार को सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा. यहां पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 492 दर्ज किया गया.
ऐप के मुताबिक इसी प्रकार दिल्ली का एक्यूआई 487, गाजियादबाद का 474, आगरा का 445, हापुड़ का 402, फरीदाबाद का 476, गुरुग्राम का 466, बहादुरगढ़ का 443 और भिवानी का एक्यूआई 479 दर्ज किया गया. इसके अलावा मुरथल में 414, रोहतक में 478 और बागपत में एक्यूआई 481 दर्ज किया गया. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 14 शहर डार्क जोन व खतरनाक स्थिति में हैं.
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया, ‘वायु प्रदूषण का मुख्य कारण महंगी डीजल गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियों और सड़कों पर से उड़ने वाली धूल है, जबकि पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली भी इसका एक मूल कारण है.’ उन्होंने बताया कि नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सोमवार को एनजीटी के नियमों के उल्लंघन और प्रदूषण फैलाने पर अलग-अलग एजेंसियों पर 29 लाख आठ हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को ”अच्छा”, 51 और 100 के बीच ”संतोषजनक”, 101 और 200 के बीच ”मध्यम”, 201 और 300 के बीच ”खराब”, 301 और 400 के बीच ”बेहद खराब” और 401 से 500 के बीच ”गंभीर” श्रेणी में माना जाता है.