जहर की फैक्ट्री में सिर्फ जहर-बुझे पुरुष शामिल नहीं हैं। अब इनमें बड़ी संख्या में महिलाओं की भी भागीदारी है जो गांधी, नेहरू, राष्ट्रीय आंदोलन और तमाम क्रांतिकारियों का मजाक उड़ाती हैं।
आज गांधी जी पर लिखी हमारी एक पोस्ट पर एक मैडम ने कमेंट किया, “ऐसी आजादी का क्या सिला दिया गया देश बांट दिया गया कत्लेआम हुआ आखिर गांधी जी ने ऐसा क्यों होने दिया क्या स्वतंत्रता की चाट थोड़े और दिन बाद नही खाई जा सकती थी , एक ऐसी भारत माता जिसके दिल में इन आकाओं ने अपने मशवरों की गोली से छेद कर दिया ये घाव कभी नही भरे गा चाहे महात्मा भले अमर बने रहे।”
बंटवारे का घाव अभी नहीं भरा है, यह राग आरएसएस का है। मोहन भागवत से लेकर नए नवेले “इतिहासकार” विक्रम संपत तक यही राग गाते हैं लेकिन वे नहीं बताते कि कथित घाव कैसे भरेगा? वे यह भी नहीं बताते कि जब भारत माता को ये घाव मिल रहा था तब वे घाव करने वालों के साथ टू नेशन थ्योरी का घिनौना खेल क्यों खेल रहे थे? वे यह भी नहीं बताते कि ये घाव न होने देने के लिए उन्होंने नाखून तक क्यों नहीं कटवाया? यह घाव तो उन्होंने खुद दिया जब गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया।
इस घाव को भरने के लिए वे आज क्या कर रहे हैं? बहस चलाई जा रही है कि हिन्दू और मुसलमानों के देवी-देवताओं ने किससे शादी की, क्या क्या गड़बड़ किया। जिस देश में आज भी पूरी तरह बाल विवाह नहीं रुका है, वहां बहस की जा रही है कि 3000 साल पहले क्या हुआ था। ऐसी मूर्खतापूर्ण बहस दुनिया के और किस देश में हो रही है? क्या इससे घाव भरेगा?
सबसे हाल में इस देश पर अंग्रेजों ने शासन किया और नीतियां बनाकर लुटा, लेकिन संघ को उससे कोई घाव क्यों नहीं मिला? वे अंग्रेजों की गुलामी करके घायल क्यों नहीं हुए? पिछले सौ साल में संघ की एकमात्र उपलब्धि है गांधी की हत्या और हिन्दू-मुस्लिम विभाजन की कोशिश। आज भी वे मस्जिदों के नीचे मंदिर खोज रहे हैं। जिनसे 20 करोड़ मुसलमान नहीं संभल रहे हैं, वे बंटवारे की शिकायत किस गरज से करते हैं? क्या आरएसएस ने सावरकर की टू नेशन थ्योरी से तौबा कर लिया है? इस थ्योरी पर अमल करने वाले जिन्ना को छोड़कर उन्हें सिर्फ गांधी से शिकायत क्यों है? क्या इसलिए कि उनकी कल्पनाओं का तालिबान बनाने में गांधी जी बाधा बन गए और भारत को एक आधुनिक लोकतंत्र बनाने के आंदोलन की अगुवाई की?
बार-बार इन अफवाहों को पुरजोर तरीके से फैलाने का क्या मकसद है? स्वतंत्रता आंदोलन और क्रांतिकारियों को अपमानित करने के सिवा संघ का क्या मकसद है?
जो महिलाएं गांधी जी को गाली देने के अभियान की पैदल सिपाही हैं वे इतना भी नहीं समझतीं कि लोकतंत्र से उनको या किसी भी वंचित समुदाय को क्या मिला है। वे एक ऐसे संगठन के घृणा अभियान में शामिल हैं जिसमे आजतक महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
वे पूछते हैं कि गांधी जी ने देश क्यों बांट दिया? यह ज्ञान उन्हें कहाँ से मिला? व्हाट्सएप विष-विद्यालय से। उन्हें नहीं पता है कि जैसे आज कुछ लोग पगलाए हैं कि हम हिन्दू राष्ट्र बनाएंगे, भले देश बर्बाद हो जाये, वैसे ही तब भी जिन्ना और सावरकर गैंग के लोग पगलाए थे। इन वहशियों ने 10 लाख जानें ले लीं। इनके वहशीपन की कीमत था भारत का बंटवारा। गांधी या कांग्रेस ने कब कहा था कि उन्हें देश का विभाजन चाहिए? विभाजन की मांग किसकी थी? द्विराष्ट्र का सिद्धांत पेंशनखोर सावरकर का था और जिन्ना उसके स्पोर्ट में था। दोनों मिलकर अलग अलग हिन्दू और मुसलमान राष्ट्र मांग रहे थे।
आप सबसे अपील है कि व्हाट्सएप का कचरा कम कंज्यूम कीजिए। उससे दिमाग कूड़ाघर हो जाता है। आदमी अपने पूर्वजों के बलिदान का उपहास करने जैसी नमकहरामी करने लगता है। ऐसा मत कीजिए।