राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में सबको प्रतिनिधित्व, लेकिन मुस्लिम को नहीं, क्यों ?

राजस्थान में कांग्रेस का राज है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं और कांग्रेस अपने आपको सेक्यूलर व सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी कहती है, इसके बावजूद राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) में मुस्लिम प्रतिनिधित्व नहीं है, यह भेदभाव कांग्रेस की छवि को और धूमिल करेगा। दो महीने बाद यूपी में विधानसभा चुनाव भी हैं, जहाँ प्रियंका गांधी मुसलमानों को कांग्रेस से वापस जोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

राजस्थान में दिसम्बर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। जिसे बने कुछ दिन बाद तीन वर्ष हो जाएंगे। मतगणना के दिन राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस अपने सिम्बल पर 100 सीट ही जीत पाई थी, यानी वो हारती हारती बची थी। जीतने वाली 100 सीटों पर मुस्लिम वोट 15 हजार से लेकर एक लाख से ऊपर तक हैं। यानी यह सभी सीटें मुस्लिम वोट की बदौलत कांग्रेस ने जीती थी। जो 100 सीटें हारी थी, उनमें अधिकतर पर मुस्लिम वोट 15 हजार से कम है। कांग्रेस के बहुत से नेता यह बात मानते हैं कि मुसलमानों का एकतरफा और भारी संख्या में वोट कांग्रेस को नहीं मिलता, तो आज कांग्रेस सत्ता में नहीं होती। इसके बावजूद कांग्रेस ने सरकार बनते ही मुसलमानों को पूरी तरह से नजरअंदाज करना शुरू कर दिया।

भेदभाव का यह शुभ कार्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कर कमलों से शुरू हुआ, जिनकी खुद की विधानसभा सीट सरदारपुरा (जोधपुर) भी एक मुस्लिम बाहुल्य सीटें है। मन्त्रिमण्डल गठन, एएजी व गवर्नमेंट एडवोकेट की नियुक्ति, नगर निगम मेयर बनाने, आरपीएससी व सूचना आयोग में नियुक्त, उर्दू तालीम आदि को लेकर सरकार ने तीन साल में भेदभाव बरतने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी, जो हाल ही के मन्त्रिमण्डल पुनर्गठन में भी बरती गई है। कांग्रेस से जुड़े मुस्लिम इस भेदभाव को लेकर पूरी तरह से पसोपेश में हैं, वो चाय चौपाल चर्चा करते हुए एक दूसरे से पूछते हैं कि आखिर मुसलमानों का गुनाह क्या है, जो कांग्रेस सरकार उनकी अनदेखी कर रही है ? वहीं आम मुसलमान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है और वो नया रास्ता तय करने की सोच रहा है, चाहे यह रास्ता ओवैसी ब्रांड सियासत का ही क्यों ना हो।

आरपीएससी में सामान्य वर्ग, ओबीसी, एससी, एसटी व एमबीसी यानी सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, सिवाय मुस्लिम समुदाय के। मुस्लिम समुदाय के साथ यह भेदभाव उस कांग्रेस ने बरत रखा है, जो अपने आपको सेक्यूलर व 36 कौमों की पार्टी कहती है। यह भेदभाव उस मुख्यमंत्री ने किया है, जो अपने आपको गांधी का अनुयायी कहते हैं। चेयरमैन सहित आठ सदस्यीय आरपीएससी के इस आयोग में जब सब समाजों को प्रतिनिधित्व दिया गया है, तो फिर मुस्लिम को क्यों नहीं ? यह सवाल पिछले एक साल से पढे लिखे मुसलमानों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, जब भूपेन्द्र सिंह यादव को चेयरमैन बनाने के साथ ही आयोग में खाली सभी पांच सदस्यों की नियुक्ति सरकार ने की थी। एक दिसम्बर को भूपेन्द्र सिंह यादव रिटायर्ड हो गए हैं, यानी चेयरमैन के साथ ही एक सीट खाली हो गई है।

मुस्लिम बुद्धिजीवियों का मानना है कि आरपीएससी का चेयरमैन या एक सदस्य तो किसी योग्य मुस्लिम को बनाना ही चाहिए, ताकि भेदभाव का खात्मा हो तथा लगे कि वाकई कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। राजस्थान में दर्जनों अधिकारी, प्रोफेसर-लेक्चर्र, एडवोकेट, राजनेता, पत्रकार आदि हैं, जिनको आरपीएससी का चेयरमैन या सदस्य बनाया जा सकता है। जिनमें प्रमुख हैं आईएएस जाकिर हुसैन जिला कलेक्टर श्रीगंगानगर, यूडी ख़ान जिला कलेक्टर झुन्झुनूं, डीआईजी हैदर अली जैदी एडिशनल कमिश्नर पुलिस कमिश्नरेट जयपुर, वरिष्ठ आरएएस अधिकारी सत्तार ख़ान एडिशनल कमिश्नर हैरिटेज नगर निगम जयपुर, वरिष्ठ आरएएस अधिकारी जमील कुरैशी डायरेक्टर अल्पसंख्यक निदेशालय, डाॅक्टर खानू ख़ान बुधवाली, वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद इकबाल सीनियर एसिस्टेंट एडिटर द हिन्दू अखबार जयपुर, प्रोफेसर अय्यूब ख़ान जोधपुर, मोहम्मद असलम एडिशनल कमिश्नर सेल टैक्स जयपुर, एडवोकेट सय्यद शाहिद हसन, एडवोकेट तनवीर अहमद, एडवोकेट ज़ाकिर खान भादरा, एडवोकेट रज्जाक खान हैदर जोधपुर, आरएएस अधिकारी शौकत अली, डाॅक्टर अली हसन एसोसिएट प्रोफेसर इंग्लिश गवर्मेंट काॅलेज जामडोली जयपुर, वाहिद अली रिटायर्ड मेम्बर राजस्थान टैक्स बोर्ड, डाॅक्टर जेबी ख़ान एसोसिएट प्रोफेसर गवर्नमेंट लोहिया काॅलेज चूरू, डाॅक्टर खुर्शीद फातमा लेक्चर्र उर्दू आदि।

मुस्लिम बुद्धिजीवियों का यह भी मानना है कि गहलोत सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये से मुसलमान तेजी से कांग्रेस से छिटकने की तैयारी कर रहा है, जो कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है। साथ ही दो महीने बाद यूपी में विधानसभा चुनाव हैं तथा पार्टी प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी मुसलमानों को वापस पार्टी से जोड़ने और सम्मानजनक सीटें जीतने का प्रयास कर रही हैं, तो राजस्थान के अन्दर जो भेदभाव बरता जा रहा है, उसका असर यूपी में भी जरूर पड़ेगा। इसलिए बेहतर है कांग्रेस राजस्थान में यह भेदभाव खत्म करे और किसी योग्य मुस्लिम को आरपीएससी में नियुक्त देकर यह सन्देश दे कि कांग्रेस वाकई सभी को साथ लेकर चलती है।

(सभार थार न्यूज़-इक़रा पत्रिका)