इटावा/नई दिल्लीः चाचा भतीजे के बीच बेसक सामंजस्य की बातें हो रही हो लेकिन इसके बावजूद एक बड़ी बात सामने यह आई है ना तो चाचा भतीजे का नाम ले रहे हैं और न भतीजा ही चाचा के नाम का संबोधन कर रहा है। दोनों के बीच अभी उनके और कौन का रिश्ता दीख रहा और इस संबोधन के कई मायने लगाये जा रहे हैं। जी हाँ ! चाचा यानि शिवपाल और भतीजा मतबल अखिलेश। दोनों के बीच एक लंबे अरसे से चल रहा सत्ता संघर्ष का मुद्दा हर किसी के जेहन में बना हुआ है।
शिवपाल सिंह यादव से गठबंधन करने से जुडे सवाल पर अखिलेश यादव की तरफ से जबाब मे उनके शब्द का इस्तेमाल किया गया । इसके बाद बारी आई शिवपाल सिंह यादव तो जबाब मे उन्होने भी कौन शब्द से नवाज डाला। फिलहाल चाचा भतीजे की बीच गठबंधन की राह मे उनके और कौन शब्द से रास्ता बना है । हर किसी को इस बात का इंतजार होगा यह संबोधन शालीन हो। वैसे जब जसवंतनगर विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस ली गई थी तब शिवपाल की तरफ से अखिलेश को लिखे धन्यवाद पत्र मे उन्हे प्रिय अखिलेश…सबोंधित किया जा चुका है। जिसकी भी खासी चर्चा उस समय हुई।
समाजवादी सरकार रहने के दरम्यान चाचा भतीजे के बीच सत्ता संघर्ष की लड़ाई इस कदर हावी होती चली गई जो काफी पहले खुलकर के सबके सामने पूरी तरह से आ चुकी है। इसी लड़ाई का असर यह हुआ है कि शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी मे ही रहते हुए अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन कर संसदीय चुनाव में किस्मत आजमाने उतर पड़े।
परिवार के झगड़े में गंवाई सीट
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने प्रो.रामगोपाल यादव के बेटे और अपने भतीजे और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार अक्षय के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर कर किस्मत आजमाई। शिवपाल सिंह तो हारे ही भतीजा अक्षय भी हार गया और बाजी भारतीय जनता पार्टी के हाथ में जा लगी। ऐसा ही हाल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के पूरे उत्तर प्रदेश में उतारे गए सभी उम्मीदवारों का हुआ। किसी भी उम्मीदवार की जमानत नहीं बच सकी। जिसके बाद शिवपाल सिंह यादव की तरफ से लगातार समाजवादी पार्टी से गठबंधन करके अगला विधानसभा का चुनाव लड़ने की बात कही जाने लगी । शिवपाल सिंह यादव ज्यादातर अपनी बयानगी मे यही बात बोला करते हैं कि 2022 विधानसभा का चुनाव वह समाजवादी पार्टी से गठबंधन करके हर हाल में लड़ेंगे। उनकी इच्छा समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने की है।
संसदीय चुनावो मे चारो खाने चित्त होने के बाद काफी समय से अखिलेश के चाचा समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने को लालायित है लेकिन जैसे ही अखिलेश ने उनके लिए एक सीट का निर्धारण किया तो उनका सुर फिर से बदलना शुरू हो गया है। इस वक्त उनका ध्यान अपनी पार्टी प्रसपा और संगठन को मजबूत बनाने पर है। कोई क्या कह रहा है उन्हें इन बातों में नहीं पड़ना है।
असमंजस की स्थिती
गठबंधन करने के लिए लालायित शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव के उस प्रस्ताव के बाद कुछ असमंजस मे है। जिसमे शिवपाल के लिए जसंवतनगर विधानसभा सीट को छोडने की बात तो कही ही गई साथ ही यह भी बात बडे ही दावे के साथ बोली गई कि 2022 मे राज्य मे सरकार बनने पर उनको कैबिनेट मंत्री भी बनायेगे। यही नही अखिलेश ने शिवपाल सर्मथको को अपने पक्ष मे करने बडा दांव चलते हुए कहा कि उनके लोग हमसे मिले और पार्टी को मजबूत करने मे एकजुट हो इसका भी बडा असर आने वाले दिनो मे होने की संभावनाए दिख रही है।
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि कोई क्या कह रहा है हमें उस पर नहीं जाना है, सब बेकार की बात है। पहले हमें अपनी पार्टी और संगठन मजबूत करना है और फिर उसके बाद बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है। शिवपाल ने कहा कि हमारी पार्टी बन चुकी है और हमारे कार्यकर्ता सड़कों पर जल्द निकलने वाले हैं।