दूसरे चरण में मोदी जी लगवाएंगे टीका यह खबर आज सुबह न्यूज़ चैनल पर फ़्लैश हो रही है. दरअसल वैक्सीनेशन का अभियान अभी तक फेल ही नजर आ रहा है। इसलिए मोटिवेशन के लिए मोदी ही मैदान में उतर रहे हैं। वैसे इस देश की जनता के बारे में प्रसिद्ध है कि अगर कोई चीज फ्री में बंट रही हो तो वो दो माँगती है. लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि देश भर में हेल्थवर्कर और फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स को फ्री में सरकार वैक्सीन लगा रही है, लेकिन आधे से भी ज्यादा कोरोना वारियर्स कोरोना वैक्सीन लगाने को तैयार नही है।
कोरोना वैक्सीन लगवाने को लेकर भारत में फ्रंट लाइन वर्कर्स में एक हिचक देखने को मिल रही है एक तरह की ‘वैक्सीन हेज़िटेंसी’ देखने को मिल रही है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह वृत्ति डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ में देखने को मिल रही है. यानी जिन्हें लोगो को प्रेरित करना है वे ही वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं। आईसीएमआर के महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख रह चुके डॉ. रमन गंगाखेडकर ने बीबीसी से बातचीत में चेतावनी दी है कि यह ‘वैक्सीन हेज़िटेंसी’ दो हफ्ते से ज़्यादा चली, तो डर है कि ये ‘न्यू नॉर्म’ ना बन जाए।
वैक्सीन हेज़िटेंसी गलत भी नही है, जिस तरह से एक साल से भी कम सम य में वैक्सीन बनी है और जिस तरह से जल्दबाजी में भारत सरकार ने इसे इमरजेंसी अप्रूवल दिया है, साथ ही वैक्सीन लगवाने वालो की हेल्थ रिपोर्ट का डाटा सरकार द्वारा मांगा जा रहा है, उससे हेल्थवर्करो को यह साफ समझ आ रहा है कि उन्हें गिनीपिग के बतौर इस्तेमाल किया जा रहा है। देश भर मे वेक्सीनेशन को शुरू किए हुए पांच दिन बीत चुके हैं. और सही तरह से कलेक्टिव आँकड़े बताए जाए तो यह साफ है कि अभी सरकार दैनिक लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी वैक्सीन नही लगा पाई है. देश के छोटे छोटे शहर हो या मुम्बई जैसा महानगर सभी जगह सरकार लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में तीसरे दिन भी महज 43.5% टीकाकरण हुआ है धमतरी में 2 दिन में सिर्फ 55 प्रतिशत ने ही वैक्सीन लगवाई है. मुंबई जैसे शहर में जहाँ कोरोना सबसे ज्यादा फैला वहाँ वैक्सीनेशन के दूसरे दिन को भी टारगेट से सिर्फ 50 फीसद स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना का टीका लिया हैं। दिल्ली में, शनिवार को 4,319 हेल्थकेयर वर्कर वैक्सीन लेने पहुंचे थे, लेकिन सोमवार को यह संख्या घटकर 3,593 रह गई, साफ है कि वैक्सीनेशन अभियान असफलता के कगार है इसलिए मोदी जी खुद वैक्सीन लगवा कर इस अभियान में नई जान डालने का सोच रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)