म्यूनिख/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सुझाव दिया कि वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा के विषय से निपटने के लिए जी -7 के सदस्य देश उर्वरक उत्पादन बढ़ाने के भारत के प्रयासों में सहयोग कर सकते हैं।
इसी संदर्भ में श्री मोदी ने यह भी कहा कि जी-7 समूह के देशों में भारतीय कृषि प्रतिभा के व्यापक उपयोग के लिए कोई प्रणाली भी बनायी सकता है। प्रधानमंत्री ने समूह को पौष्टिक आहार के एक विकल्प के रूप में बाजरा की खेती और इसके उपभोग को प्रोत्साहित करने के अभियान में मदद करने का भी सुझाव दिया। श्री मोदी जर्मनी में आयोजित जी 7 शिखर सम्मेलन में सोमवार को ‘ मिल-जुल कर और सशक्त: खाद्य सुरक्षा और स्त्री-पुरुष समानता का संवर्धन’ विषय पर एक सत्र को संबोधित कर रहे थे।
श्री मोदी ने यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में कहा, “भारत हमेशा से शांति के पक्ष में रहा है। वर्तमान परिस्थिति में भी, हमने लगातार बातचीत और कूटनीति के मार्ग के लिए ही आग्रह किया है।” उन्होंने कहा, “भू-राजनीतिक तनाव” का प्रभाव केवल यूरोप तक ही सीमित नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा, “ ईंधन और अनाज की बढ़ती कीमतों का असर सभी देशों पर पड़ रहा है। विकासशील देशों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए खास तौर पर जोखिम है। ”
उन्होंने ने कहा, चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद भारत ने कई देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है। हमने पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में लगभग 35,000 टन गेहूं भेजा है। और वहां भीषण भूकंप के बाद भी भारत राहत सामग्री पहुंचाने वाला पहला देश था। हम अपने पड़ोसी श्रीलंका को भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद कर रहे हैं।”
वैश्विक खाद्य सुरक्षा के विषय पर अपने सुझाव रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा: “सबसे पहले, हमें उर्वरकों की उपलब्धता पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक स्तर पर उर्वरकों की मूल्य श्रृंखला को सुचारू रखना चाहिए। हम भारत में उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और इस संबंध में जी-7 देशों से सहयोग मांग रहे हैं।”
उन्होंने कहा “दूसरा, भारत के पास जी-7 की तुलना में कृषि कार्य करने वाली जनशक्ति काफी अधिक है। भारतीय कृषि कौशल ने जी7 के कुछ देशों में पारंपरिक कृषि उत्पादों जैसे पनीर और जैतून को नया जीवन देने में मदद की है।”
श्री मोदी ने “क्या जी7 अपने सदस्य देशों में भारतीय कृषि प्रतिभा के व्यापक उपयोग के लिए कोई सुसंगठित प्रणाली बना सकता है” श्री मोदी का कहना था कि भारत के किसानों की पारंपरिक प्रतिभा की मदद से जी7 देशों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
बाजरा को पौष्टिक आहार के रूप में प्रोत्साहित किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष” के रूप में मनाने जा रही है।
उन्होंने कहा , ‘जी-7 को बाजरा जैसे पौष्टिक विकल्प को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाना चाहिए। बाजरा दुनिया में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।”
उन्होंने भारत में हो रही ‘प्राकृतिक खेती’ क्रांति का उल्लेख किया और कहा कि जी7 विशेषज्ञ इस प्रयोग का अध्ययन कर सकते हैं और कहा कि भारत ने इस विषय पर सदस्यों के साथ एक गैर-पत्र साझा किया है।
प्रधानमंत्री ने स्त्री पुरूष समानता के मुद्दे पर कहा कि भारत की सोच ‘महिला विकास’ से ‘महिलाओं के नेतृत्व में विकास’ की ओर बढ़ रही है। देश में 60 लाख से अधिक भारतीय महिला फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं ने महामारी के दौरान हमारे नागरिकों को सुरक्षित रखा। हमारी महिला वैज्ञानिकों ने भारत में टीके और परीक्षण किट विकसित करने में बड़ा योगदान दिया है।
उन्होंने विश्व मंच को यह भी बताया कि भारत में दस लाख से अधिक महिला स्वयंसेवक ग्रामीण स्वास्थ्य प्रदान करने में सक्रिय हैं, जिन्हें हम ‘आशा कार्यकर्ता’ कहते हैं। अभी पिछले महीने ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन भारतीय आशा कार्यकर्ताओं को अपने ‘2022 ग्लोबल लीडर्स अवार्ड’ से सम्मानित किया है।”
श्री मोदी ने कहा कि यदि भारत में इस समय यदि स्थानीय सरकार के निकायों से लेकर लेकर राष्ट्रीय सरकार तक के सभी निर्वाचित नेताओं की गिनती की जाए, तो उनमें से आधे से अधिक महिलाएं हैं और इनकी कुल संख्या लाखों में होगी।’
“इससे पता चलता है कि भारतीय महिलाएं आज वास्तविक निर्णय लेने में पूरी तरह से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अगले साल भारत जी20 की अध्यक्षता करने जा रहा है। हम जी20 प्लेटफॉर्म के तहत कोविड के बाद रिकवरी समेत अन्य मुद्दों पर जी7 देशों के साथ करीबी संवाद बनाए रखेंगे।