मथुरा: उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के गठन के लिये चुनाव का बिगुल अभी भले ही न बजा हो, लेकिन प्रदेश की धार्मिक नगरी मथुरा में तमाम सियासों दलों के टिकट के दावेदार मौजूदा विधायकों के लिए सिरदर्द बन गए है। प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में इस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मथुरा से चुनाव लड़ने का आमंत्रण देकर एक तीर से दो निशाने साधने का खेल इन दिनों जोरों पर चल रहा है। एक ओर वर्तमान विधायक अपने कार्यकाल में कराये गए विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने में लगे हैं। वहीं, टिकट के दावेदार मौजूदा विधायकों की स्वनिर्मित जन्ममपत्री अपने दल के हाईकमान तक पहुंचाने में शिद्दत से जुटे हैं।
इसके पीछे उनकी मंशा साफ है कि टिकट का छींका उनके भाग्य से टूटे और टिकट उनकी झोली में आ जाय। आलम यह है कि चुनाव से पहले ही सत्ताधारी दल में टिकट की मारामारी के लिये नेता अपने ही विधायकों का गुपचुप मानमर्दन करने में लगे हैं।
भाजपा के एक पूर्व जिला अध्यक्ष ने नाम न छापने की शर्त पर ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि मथुरा विधान सभा सीट से भाजपा के विधायक और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अपने कार्यकाल में यद्यपि बिजली की नियमित आपूर्ति से लेकर, सड़क, पार्क, मल्टीलेवल पार्किंग, कुंभमेला, पीने के लिए गंगाजल जैसे कई कार्य कराये हैं। लेकिन उनके विरोधियों का आरोप यह भी है कि वे जितने दिन अपने क्षेत्र में रहे उससे अधिक दिन अपने क्षेत्र से बाहर रहे।
शर्मा की सिर्फ इसी एक शिकायत को लेकर उनका पत्ता कटवाने में भाजपा के कुछ स्थानीय कद्दावर नेता लखनऊ के खूब चक्कर काट रहे हैं। सूत्रों की मानें तो शर्मा के इन घरेलू शत्रुओं में एक पूर्व मंत्री, एक व्यापारी नेता, राज्य के एक आयोग के अध्यक्ष और जिला भाजपा के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों के नाम चर्चा में हैं।
इस बीच उत्तर प्रदेश व्यापार कल्याण बोर्ड के चेयरमैन रविकांत गर्ग ने टिकट की अपनी दावेदारी के बारे में सिर्फ इतना ही कहा है कि भाजपा आलाकमान जो निर्देश देगा उसका वह पालन करेंगे। इससे इतर, भाजपा में संत फूलडोल महाराज के नेतृत्व में साधु संतों का एक तबका ऐसा भी है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मथुरा से चुनाव मैदान में उतारे जाने का हिमायती है। श्रीकांत शर्मा के विरोधी भी योगी को मथुरा से चुनाव लड़ाये जाने की मांग में शामिल हो गए हैं।
मथुरा सीट से किस्मत आजमाने के फूलडोल महाराज के आमंत्रण पर योगी ने भी कहा है कि भाजपा नेतृत्व जहां से चाहेगा, वहीं से वह चुनाव लड़ेंगे। योगी के इस बयान से मथुरा में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
कांग्रेस खेमे में भी खलबली
इसके अलावा कांग्रेस खेमे में भी टिकट को लेकर लामबंदी जोरों पर चल रही है। यद्यपि चार बार के विधायक एवं उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधानमडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर टिकट के सबसे मजबूत दावेदार हैं। कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता मुकेश धनगर ने माना कि कांग्रेस में भी माथुर के अलावा टिकट पाने की चाहत रखने वाले और भी लोग हैं।
इनमें मथुरा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष श्यामसुन्दर उपाध्याय ‘बिट्टू’ प्रमुख हैं जो खुलकर सामने आ गये हैं। उन पर पार्टी विरोधी कार्य करने का आरोप लगाकर उन्हें कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखाया गया लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनके निष्कासन को रद्द कर उन्हें संजीवनी दे दी है। इनके अलावा वकील राजकुमार उपाध्याय भी टिकट पाने वालों की कतार में लगे हैं।
मथुरा की चुनावी राजनीति के तीसरी बड़ी ताकत के रूप में सपा रालोद गठबंधन है। रालोद के प्रदेश उपाध्यक्ष कुंवर नरेन्द्र सिंह ने बताया कि गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में डा अशोक अग्रवाल एवं अनिल अग्रवाल के नाम चर्चा में है। डा अग्रवाल पहले भी दो बार चुनाव में असफल प्रयास कर चुके हैं।
डा अग्रवाल की चिकित्सक होने के नाते इलाके में उनकी साफ छवि ही उनकी ताकत है। इनके अलावा हाल में ही बसपा से रालोद में आए योगेश द्विवेदी भी टिकट के दावेदार हैं। यद्यपि वह गोवर्धन विधान सभा सीट से भाग्य अजमाना चाहते हैं, किंतु इस सीट से रालोद के प्रदेश उपाध्यक्ष कुंवर नरेन्द्र सिंह खुद प्रबल दावेदार हैं। नरेन्द्र सिंह लोकसभा और विधान सभा चुनाव लड़ चुके हैं।
अब बात बसपा की। मथुरा विधान सभा क्षेत्र से अभी तक बसपा को कभी चुनावी सफलता नहीं मिली। यद्यपि इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं के बाहुल्य को देखते हुये बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ब्राह्मणों को रिझाने के लिए हाल में ही ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर चुके है। चर्चा तो यह है कि इसी सप्ताह मिश्रा की गोवर्धन परिक्रमा करने की योजना भी है।
चर्चा यह भी है कि सवर्ण मतों में विभाजन कराने के लिये बसपा इस सीट पर दूसरी सर्वाधिक तादाद वाले वैश्य समुदाय के किसी व्यक्ति को उम्मीदवार बना सकती है। गोवर्धन से बसपा के पूर्व विधायक राजकुमार रावत का तो दावा है कि पार्टी ने वैश्य प्रत्याशी नाम तय भी कर लिया है। कुल मिलाकर सभी प्रमुख दलों की टिकटार्थियाें की दौड़ अब रोचक पड़ाव पर पहुंच गयी है।