नई दिल्ली: आज दुनिया भर में मज़हब-ए-इस्लाम को लेकर तरह-तरह के कंफ्यूजन हैं. अब आम तौर पर ये समझा जाने लगा है कि ज्यादा तर आंतकियों का ताल्लुक़ इस्लाम से होता है. सवाल उठने लगा है कि अगर इस्लाम एक अमन-पसंद मज़हब है तो इस मज़हब के नाम पर इस तरह के दहशतगर्दाना हमले क्यों किए जाते हैं. आखिर ये दहशतगर्द इस्लाम के नाम पर इस तरह के गैर-अखलाकी और गैर-इंसानी काम क्यों कर रहे हैं. इसी संवेदनशील मुद्दे को ले कर आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी के साथ बोर्ड एग्जीक्यूटिव बॉडी मेंबर हज़रत सय्यद तनवीर हाश्मी मियां, हज़रत सय्यद आले मुस्तफा पाशा क़ादरी और हाजी सय्यद सलमान चिश्ती ने कई देशों (तुर्की, मिस्र, ईरान, ईराक़, इंडोनेशिया और जॉर्डन) के राजदूतों से मुलाक़ात की।
दहशतगर्द सिर्फ एक बैनर के तौर कर रहे हैं इस्लाम का इस्तेमाल
बोर्ड के अध्यक्ष हज़रत सय्यद सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने इस दौरान कहा कि दहशतगर्दी का इस्लाम से कोई लेने देना नहीं है. दहशतगर्द सिर्फ एक बैनर के तौर पर मज़हब-ए-इस्लाम का इस्तेमाल करके अपना बचाव कर रहे हैं. दहशतगर्दों का ना तो इस्लाम से कोई ताल्लुक़ है और ना हीं उन्हें इस्लामी तालीम की जानकारी है. इसलिए अब हर मुसलमान पर लाज़िम है कि वह अपने मज़हब के पैगाम को लोगों तक तक ठीक-ठीक तरीके से पहुंचाएं।
मुसलमान अपने अखलाक से अपने मज़हब को साबित करे
हज़रत ने कहा कि आज अगर कोई इस्लाम के खिलाफ गलत बातें फैला रहा है तो हमें एक मुसलमान होने के नाते लड़ने झगड़ने पर नहीं आमादा होना चाहिए, बल्कि हमें अपने अखलाक व किरदार से दर्शाना चाहिए कि सच क्या है और गलत क्या है. यही अमल सहाबा-ए-कराम का भी रहा है।
लोग अपने-अपने धर्मों के बारे में ठीक-ठीक जानकारी हासिल करे
आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड कर्नाटक अधय्क्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद तनवीर हाशमी ने सूफीवाद पर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि दुनिया का कोई भी धर्म आतंकवाद की तालीम नहीं देता है, लेकिन दुर्भाग्य से लोगों को अपने धर्म के बारे में ठीक ठीक जानकारी नहीं है. इसलिए लोगों को चाहिए कि वह अपने-अपने धर्मों के बारे में ठीक-ठीक जानकारी हासिल करे. उन्होंने बताया कि इस लिससिले में हर मज़हब के नौजवान तबके की जिम्मेदारी याहं बढ़ जाती है कि लोगों को बताए कि उनका मज़हब उनसे क्या चाहता है।
आतंकवाद और इस्लाम दोनों अगल-अगल हैं
आतंकववाद और इस्लाम पर आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड आंध्रा प्रदेश के अध्यक्ष हज़रत सय्यद आले मुस्तफा पाशा क़ादरी ने कहा कि आतंकवाद और इस्लाम दोनों अगल-अगल चीजें हैं, उन्हें एस साथ नहीं जोड़ा जा सकता है. इस्लाम का इस दुनिया में आने का मकसद ही जुल्म और दहशतगर्दी का खात्मा करना है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस्लाम और आतंकवाद को एक साथ जोड़ कर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने पैगंबर की तालीम पर अमल करें और अल्लाह के फरमान की मुकम्मल जानकारी हालिस करे।
क्या सूफीवाद आतंकवाद को रोक सकता है?
बोर्ड के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हाजी सय्यद सलमान चिश्ती ने कहा कि सूफियों ने हर ज़माने में उग्रवाद और आतंकवाद का अपनी तालीमात से मुकाबला किया है. मोहब्बत और अमन के पैगाम को आम क्या है, सूफियों की तालीम वही है जो इंसानियत की है, सूफियों ने दिलों को प्यार से जीतने की कोशिश की है ना कि तलवार के ज़ोर से।