वे उस हिंदू राष्ट्र का राग अलाप रहे हैं जिसे कभी सरदार पटेल ने ‘पागलपन’ बताया था।

हिंदुत्ववादियों की सबसे बड़ी मुसीबत है कि जिस अस्थिशेष, कृषकाय, निहत्थे बूढ़े महात्मा को वे 73 साल पहले मार चुके हैं, वह आज​तक मरा ही नहीं। वे दुनिया में कहीं भी चले जाएं, वह बूढ़ा महात्मा वहीं खड़ा मुस्कराता मिलता है। उसकी लाठी से हिंसक पिस्तौल हर बार हार जाती है और हिंदुत्ववादी हर बार तिलमिलाकर उस पर और हमले करते हैं।

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गांधी पर हमला करने वाले सिरफिरों को याद रखना चाहिए कि महात्मा गांधी को दुनिया के 150 देशों ने अपने डाक टिकट पर सजा रखा है। महात्मा गांधी भारत के अकेले ऐसे महापुरुष हैं, जिनकी भारत सहित 84 देशों में मूर्तियां लगी हैं। पाकिस्तान, चीन से लेकर छोटे-मोटे और बड़े-बड़े देशों तक में बापू की मूर्तियां स्थापित हैं। जिस ब्रिटेन के खिलाफ वे जिंदगी भर लड़े, उस ब्रिटेन ने भी उनकी प्रतिमाएं लगा रखी हैं। महात्मा गांधी को मार पाना अब नामुमकिन है।

महात्मा गांधी इस दुनिया के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनके खिलाफ उनकी मौत के लगभग सात दशक बाद भी घृणा अभियान चल रहा है। लोग वहीं हैं, उसी जहरीली विचारधारा के लोग, जिसके चलते एक कायर ने महात्मा की हत्या की थी। मेरी जानकारी में भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां पर एक नमकहराम पार्टी सरकार में है और उसके संरक्षण में देश के राष्ट्रीय आंदोलन, महापुरुषों और राष्ट्रपिता को गालियां ​दी जा रही हैं।

जब महात्मा गांधी राष्ट्रीय आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे, तब इसी विचारधारा के लोग अंग्रेजों की तरफ से मुखबिरी कर रहे थे और गांधी को मुस्लिम-परस्त बता रहे थे। अब इतने वर्षों बाद पहली बार संघी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में हैं और नंगा नाच रहे हैं। धर्म संसद के बहाने महात्मा गांधी को गाली दी जा रही है, पूर्व प्रधानमंत्री को गोली मारने की बात कही जा रही है, मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार का आह्वान किया जा रहा है और कोई सत्ताधारी नेता इसकी निंदा तक नहीं करता, कार्रवाई करने की बात बड़ी दूर है।

वॉट्सएप विषविद्यालय के प्रभाव में आकर यहां पर आम लोग ऐसा करते हैं तो हम चिढ़कर उन्हें जवाब दे देते हैं, लेकिन इस हालत में हम क्या करें अगर देश में सरकार चलाने वाली पार्टी ही ऐसा करने लगे?

सत्ता में आते ही उन्होंने देशद्रोही खोजना क्यों शुरू किया था? क्योंकि उन्हें वे सारे काम करने हैं जो देश के खिलाफ हैं और देश की आत्मा पर प्रहार करने जैसे हैं। वे राष्ट्रीय आंदोलन को बार-बार अपमानित करते हैं, वे इस देश के लिए अपने प्राण देने वालों को बार-बार अपमानित करते हैं, वे देश के लिए शहीद हुए जवानों के पोस्टर लगाकर चुनाव में वोट मांगते हैं, वे चुनाव के पहले अंग्रेजों की तरह जनता को हिंदू मुसलमान में बांटने का प्रयास करते हैं। वे वह सब कर रहे हैं जो देशद्रोह की श्रेणी में है। वे बेहद शातिर लोग हैं, जो लोग यह सवाल उठाते, उन्हें पहले से ही देशद्रोही की श्रेणी में डाल दिया गया है। ज्यादातर लोग चुप हैं। हम भी चुप हैं। आप भी चुप हैं। देश का विपक्ष भी लगभग चुप है। वे निर्बाध होकर इस देश के संविधान और भारत के विचार पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे हैं।

जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्होंने खुद को देश और धर्म का ठेकेदार भी घोषित किया हुआ है। धर्म, संस्कृति और राष्ट्रवाद का चोला ओढ़कर वे राष्ट्रीय अस्मिता पर बार-बार गंभीर चोट पहुंचा रहे हैं।

आप सोचेंगे कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि उन्हें देश पर कब्जा चाहिए। क्योंकि उन्हें इस देश की ताकत को, एकता को, अखंडता को खंडित करना है। उन्हें इस देश को कमजोर करना है ताकि जनता उनके कुकृत्यों का विरोध न कर सके।

वे हिंदू राष्ट्र का राग अलाप रहे हैं जिसे कभी सरदार पटेल ने ‘पागलपन’ बताया था। अब यह आपको तय करना है कि 70 साल पहले लाखों लोगों के ​बलिदान से विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का जो गौरव आपने हासिल किया था, क्या उसे हिंदू राष्ट्र के ‘पागलपन’ के लिए गवां देना है या अपना लोकतंत्र बचाना है?

(लेखक युवा पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)