नई दिल्ली/लखनऊः केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि सुधार क़ानून के विरोध में देशभर के किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के इस बंद को विपक्षी पार्टियों एंव समाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। अब पीस पार्टी ने किसानों द्वारा किये जा रहे भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है। पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शादाब चौहान ने कहा कि पीस पार्टी शांतिपूर्ण भारत बंद का समर्थन करती है।
उन्होंने कहा कि पीस पार्टी न्याय की लड़ाई में किसानों के साथ खड़ी है क्योंकि भाजपा किसानों को गुलाम बनाना चाहती है और पीस पार्टी एहकाम ए इलाही निजाम ए मुस्तफा के मिशन पर कार्य कर रही है तो किसी पर भी जुल्म नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को सिर्फ गुमराह कर रही है, और किसानों की जायज मांग को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
पीस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि एमएसपी, बिजली, सुरक्षा समेत और तीनों कृषि क़ानून वापस लेने की मांग समेत किसानों की कुल सात मांगे हैं। लेकिन इन मांगों को मानने के बजाय सरकार किसानों को सिर्फ बरगला रही है। उन्होंने कहा कि जब इन क़ानूनों के बारे में कोई नहीं जानता था, तब पूरे देश में सिर्फ पीस पार्टी ही एक मात्र ऐसी पार्टी थी जिसने इन क़ानूनों का विरोध किया था, और जनता को बताया था कि इन क़ानूनों को अमली जामा पहनाते ही किसान को उसी के खेत में ग़ुलाम बना दिया जाएगा।
शादाब चौहान ने कहा कि हमारी पार्टी किसान आंदोलन के ‘भारत बंद’ के साथ है, शांतिपूर्ण तरीक़े से संवैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ किसानों का मुद्दा नहीं है बल्कि इस देश की कृषि और इस देश की व्यवस्था को पूंजीवाद एंव औपनिवेशवादी ताक़तों के हाथों में जाने से रोकने की लड़ाई है। शादाब ने कहा कि पूंजीपतियों के हितों को ध्यान में रखकर कार्य करने वाली सरकार को इन तीनों क़ानूनों को हर हाल में वापस लेना होगा।