जिस गुजराती कंपनी ने देश के 28 बैंकों को 23 हजार करोड़ का चूना लगाया है, उसका मालिक ऋषि अग्रवाल, नरेंद्र मोदी का करीबी है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब इस कंपनी को सस्ते दाम पर जमीन दी गई थी। उस समय कैग रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस जमीन की कीमत 1400 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर थी, वह एबीजी शिपयार्ड कंपनी को 700 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की दर से दे दी गई। इससे राज्य सरकार को 8.46 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसे कुल 1.21 लाख स्क्वायर मीटर जमीन आधे दाम में दी गई थी।
28 बैंकों के कंसोर्टियम ने नवंबर 2019 में इस कंपनी की शिकायत की लेकिन एफआईआर दर्ज हुई फरवरी 2022 में। एफआईआर में देरी क्यों हुई? एबीजी शिपयार्ड पर 2014 में 11 हजार करोड़ का लोन था। इसकी रिकवरी करने की जगह इसे और लोन दिया गया। 2022 में यह बढ़कर लगभग 23 हजार करोड़ पहुंच गया। इस कंपनी को कौन बचा रहा है?
बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है, उसी वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह रही हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में बैंकों की सेहत सुधरी है। अब कोई जानकार बताए कि बैंकों को लूट लेने से बैंकों की सेहत कैसे सुधरती है?
कोरोना के पहले जुमला फेंका गया था कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना है। पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का नारा तो कुछ ही दिन बाद फुस्स हो गया, अब पांच ट्रिलियन रूपये की लूट जरूर सामने आई है।
पिछले सात साल में मोदी सरकार के कार्यकाल में कुल 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये के बैंक घोटाले हो चुके हैं। पिछले 7 सालों में बैंकों के साथ हो रह फ्रॉड की वजह से हर दिन औसतन 195.05 करोड़ रकम डूबी है। इसमें ताजा घोटाला सामने आया है 23 हजार करोड़ का। यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला है। यह लूटा गया पैसा आपका था।
चौकीदार बनकर खजाने की रखवाली करने आये नरेंद्र मोदी ने जबसे प्रधानमंत्री बने हैं तबसे लगातार एक एक करके बैंक डूब रहे हैं। अर्थव्यवस्था डूब रही है। देश भविष्य अंधकार में डूब रहा है।
पिछले सात साल में कॉरपोरेट का 8 लाख 17 हजार करोड़ रुपये का कॉरपोरेट लोन बट्टे खाते में डाल दिया गया है। आम भाषा में कहें तो माफ कर दिया गया। पिछले सात साल में बैंकों के एनपीए में 21 लाख करोड़ का इजाफा हुआ है।
आप सोते रहिए या हिंदू-मुसलमान में उलझे रहिए। देश में हो रही बेतहाशा लूट के बावजूद कोई विरोध नहीं है और सरकार बिल्कुल असहज नहीं है। यानी यह लूट अभी रुकने वाली नहीं है। आगे भी जारी रहेगी।
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)