गुरुग्राम में हर शुक्रवार को होने वाले जुमा की नमाज़ को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खुले में नमाज़ बर्दाश्त नहीं होगी जैसा बयान देकर नमाज़ का विरोध करने वालों के हौसले और बढ़ा दिये हैं। अब इसी क्रम में पूर्व राज्यपाल डॉ. अज़ीज़ क़ुरैशी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक के बाद एक कई सवाल दागे हैं। अज़ीज़ क़ुरैशी ने अतीत की एक घटना का भी ज़िक्र किया है।
उन्होंने बताया कि गोरेगांव हरियाणा में जहां पिछली रिवायत के मुताबिक़ सरकार की खुली हुई ज़मीन पर जुमे की नमाज़ पढ़ी जाती रही है, वहां उसका खुल कर विरोध किया जा रहा है। बहुत झगड़े और संघर्ष के बाद ये तय हुआ है के कुल 6 सरकारी ज़मीनों पर नमाज़ पढ़ी जा सकेगी जिसके लिए नमाज़ियो को “चौथ” अदा करना पड़ेगा। हरियाणा, पंजाब और कुछ हिमाचल प्रदेश के इलाक़ों में लगभग 50,000 मस्जिदें, ईदगाहेँ, दरगाहें और वक्फ की दूसरी जायदाद गैर मुस्लिमों के क़ब्जे में हैं, पिछले 70 सालों में आज तक उन्हें नजायेज़ क़ब्जे से आज़ाद कराकर क़ानूनी हकदारों के हवाले, यानी संबंधित वक्फ बोर्ड के हवाले नहीं किया है। इन 70 सालों में लगभग हर राजनीतिक दल की सरकार इन राज्यों में बनी हैं। ये हमारे सेक्युलर प्रशासन, संविधान, परंपरा और इंसानियत के माथे पर एक ऐसा काला दाग़ है जिसे शायद पंजाब के पांचों दरिया का पानी भी नहीं धो पाएगा।
डॉ. क़ुरैशी ने कहा कि सरकारी ज़मीन पर नमाज़ पढ़ने के लिए अगर मुसलमानों को टैक्स अदा करना होगा, तो गुस्ताखी माफ, में ये पूछना चाहूंगा के लगभग हर सरकारी ज़मीन और चौराहे पर आए दिन जो दुर्गा माता बिठाई जाती हैं, गणेश जी की स्थापना की जाती है, हनुमान जी की मूर्तियां लगाई जाती हैं और ऐसे ही अनेक त्योहारों पर जो पूजा पाठ, बैंड बाजा, लाउड स्पीकर और हज़ारों की भीड़ को जो इकट्ठा किया जाता है, ये सारे सरकारी स्थान क्या वहां की हिंदू आबादी की पैतृक संपत्ति है? क्या ये उनकी खानदानी विरासत है? या उनके बाप दादा किसी कानून के अंतर्गत ये अधिकार उन्हें लिख के दे गए हैं?
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि हिंदू धर्म की महान परंपराओं का ये तकाज़ा है और उचित है के अगर मुसलमानों को जुमे की नमाज़ पढ़ने में धमकियां, डर, भय और खौफ की चेतावनी के बाद टैक्स दे कर नमाज़ पढ़ना पड़े तो हमारे समस्त हिंदू भाइयों को भी जो सरकारी स्थान व झांकियां बनाने, मूर्तियां बिठाने, पूजा पाठ करने, लाउड स्पीकर पे भजन बजाने और हज़ारों की जो भीड़ इकट्ठा करते हैं उन्हें भी इन तमाम स्थानों और सड़कों का उचित टैक्स अदा करना चाहिए।
डॉ. अज़ीज़ कुरैशी ने कहा कि ये सारा भारत वर्ष हम सब की मिली जुली सामूहिक संपत्ति है और हमारी मिली जुली विरासत है, जिसकी प्रगति और विकास करने और एक एक इंच भूमि की शत्रुओं से रक्षा करने के लिए अपनी आखरी सांस तक लड़ने और अपने ख़ून का एक एक क़तरा बहा देना हर हिंदुस्तानी का नागरिक कर्तव्य है, लेकिन हर मुसलमान का ये नागरिक कर्तव्य के साथ धार्मिक कर्तव्य भी है और यही हमारा इस्लाम है।
उन्होंने उम्मीद ज़ाहिक करते हुए कहा कि आशा है के इंसाफ के तराज़ू में बराबर तोलते हुए जहां मुसलमानों से सरकारी ज़मीन पर नमाज़ पढ़ने का टैक्स दिया जाए वहीं हिंदू भाइयों से भी सरकारी ज़मीनों, सड़कों और अनेक स्थानों का धार्मिक उपयोग करने कर भी टैक्स लगाया जाए। परमेश्वर की कृपा है के हिंदुस्तान हिंदुत्व का नारा बुलंद करने वाले और दूसरे सांप्रदायिक हिंदुओं की ना तो मिल्कियत है न जागीर है और भारत के मुसलमान भी पूरी तरह इस सामूहिक संपत्ति के मालिक हैं।