कृष्णकांत
शाहीन बाग में चल रहे लंगर ने भारत को जिता दिया. शाहीन बाग के नाम ध्रुवीकरण करने वाली सियासत हार गई. इस लंगर के लिए पैसे की कमी हुई तो डीएस बिंद्रा ने अपना फ्लैट बेच दिया. भारत की यही जनता है जिससे भारत की उम्मीद कायम रहती है. जब भी भारत को हराने की साजिश रची जाती है, भारत की जनता उसे नाकामयाब कर देती है.
डीएस ब्रिद्रा हाई कोर्ट में वकील हैं. उन्होंने लोहड़ी के पहले शाहीन बाग में लंगर चलाना शुरू किया. कुछ दिन उनके लंगर मुस्तफाबाद और खुरेजी में भी चले. इसमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं. पैसे की कमी आई तो बिंद्रा ने अपने तीन फ्लैट्स में से एक बेच दिया. पहले तो उनकी पत्नी ने विरोध किया, लेकिन बाद में वे भी मान गईं.
फिलहाल उनका लंगर शाहीन बाग में चल रहा है. बिंद्रा का कहना है कि हम गुरुद्वारे में दान करते हैं. बेहतर है कि हम उसी पैसे को इंसानियत की सेवा में लगाएं. वाहे गुरु ने जो दिया है कि उसे रखने का क्या फायदा है. जो ईश्वर ने दिया है उसे लोगों की सेवा में लगाने में ही भला है.
सियासत अपनी नफरती चालें चलती हैं, लेकिन समाज अपनी स्वाभाविक चाल से आगे बढ़ता रहता है. जब शाहीन बाग के नाम पर सियासत हिंदू मुस्लिम की सियासी चाल रही है, एक सिख समुदाय के सिपाही ने लोगों को लंगर खिलाने के लिए अपना फ्लैट बेच दिया है.
दिल्ली में वोटिंग के दिन आखिरी समय तक शाहीन बाग के नाम पर वोटिंग की अपील की गई, शाहीन बाग को मुस्लिम समाज का प्रतीक बनाने की कोशिश हुई, सियासत ने समाज में व्याप्त जिस भरोसे को तोड़ने की कोशिश की, उसे बिंद्रा ने बहाल कर दिया. डीएस बिंद्रा जी को मेरा सलाम पहुंचे!