मज़दूरों की घर वापसी के लिए तनवीर आलम की एनजीओ देगी 50 ट्रेनों का किराया

नई दिल्लीः 

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

एक तरफ केंद्र सरकार अप्रवासी मज़दूरों के लिए भारतीय रेल के ज़रिए मुफ्त घर वापसी के दावे कर रही है, वहीं इस मुद्दे पर अब राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के बाद अब मुंबई में बिहार के प्रवासी मज़दूरों की एक संस्था ने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि अगर सरकार ट्रेन मुहैया कराए तो वो किराया चुकाने को तैयार हैं।

बिहार नवनिर्माण युवा अभियान नाम की संस्था ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि महाराष्ट्र में अप्रवासी मज़दूर और छात्रों की एक बड़ी संख्या लॉक डाउन की वजह फंसी है। इन लोगों में बड़ी तादाद बिहार के लोगों की है। इन लोगों के परिजन तनाव में जीने को मजबूर हैं क्योंकि यहां ये प्रवासी कष्ट, भय और आशंकाओं से घिरे हुए हैं। पत्र में दावा किया गया है कि मुम्बई के स्लम क्षेत्रों में कष्ट और परेशानी बहुत ज़्यादा है क्योंकि यहां अधिकतर लोग सार्वजनिक शौचालय इस्तेमाल करते हैं। एक ही शौचालय का अनगिनत लोगों द्वारा रोज़ इस्तेमाल करना कोरोना संक्रमण के ख़तरे को और ज़्यादा बढ़ा देता है।

संस्था के संयोजक तनवीर आलम ने रेल मंत्रालय से उचित संख्या में ट्रेनों का परिचालन शुरू कराने की मांग की है। संस्था की तरफ से भेजे गए पत्र कॉपी साझा करते हुए उन्होंने कहा है कि अगर धन की वजह से ट्रेन चलाने में कोई बाधा है तो उनकी संस्था बिहारी समाज से चंदा करके 50 ट्रेनों का ख़र्च/किराया चुकाने को तैयार है। उन्होंने आगे लिखा है कि ज़रूरत के पड़ने पर अगर ट्रेनों की संख्या बढ़ानी पड़ती है वह आपसी सहयोग से और ज़्यादा राशि जुटा सकते हैं।

महाराष्ट्र में बिहार के हज़ारों लोग अभी भी फंसे हुए हैं। अनुमान है कि इनमें तक़रीबन 60 हज़ार अपने घर लौटना चाहते हैं। कोरोना नियमों की वजह से एक ट्रेन में औसतन 1200 लोग ही सफर कर सकते हैं। ऐसे में इन लोगों की घर वापसी के लिए कम से कम 50 ट्रेनों की ज़रुरत पड़ेगी। इनमें से अधिकतर लोग वो हैं जो काम बंद होने और रहने का सही ठिकाना न होने की वजह से मुंबई में फिलहाल रुकना नहीं चाहते।

ये पूछे जाने पर कि संस्था इतने पैसे कहां से चुकाएगी, बिहार नव निर्माण युवा अभियान के संयोजक ने दावा किया कि मुंबई में कई कारोबारी और बिहारी समाज के लोग फंसे हुए प्रवासियों की मदद करने को तैयार हैं और इतना पैसा जुटाना उन लोगों के लिए मुश्किल काम नहीं है।