‘तांडव’ सीरिज में ऐसा कुछ नहीं है जिससे किसी की भावनाएं आहत हों। लेकिन आहत होने को आतुर भावनाओं का कुछ नहीं किया जा सकता। यह एक ठीक ठाक बुरी और थोड़ी सी आलोचना कर इग्नोर किए जाने लायक सीरिज है। मगर भाजपा और उसके छोटे बड़े सभी ग्रुप इतने पर नहीं मानके एक पिट रहे सीरिज पर विवाद खड़ा कर उसे इतना बड़ा बना रहे हैं तो इसके पीछे की वजहों को समझना जरूरी है। फिलहाल अर्णब गेट मामले में भाजपा, केंद्र सरकार, संघ और उनके द्वारा चलाया जा रहा पूरा सिस्टम बुरी तरह फंसा हुआ है। अर्णब भाजपा की ऐसी हड्डी बन चुका है जो उससे ना निकले बन पा रहा है ना उगले। ना वे इसका खंडन कर रहे हैं और न ही इसे एक्सेप्ट कर पा रहे हैं। वे न इसे पाकिस्तान की साजिश बता पा रहे हैं ना देशद्रोहियों की करतूत। क्योंकि इस चैट से वे खुद ही देशद्रोही साबित हो पा रहे हैं।
अभी आतंकवादी भी हमारे प्रधान जी को जान की धमकी देकर उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि अर्णब गेट चैट लीक से उनका पूरा मॉडस ऑपरेंडी उजागर हो चुका है और यह भी सामने आ गया है कि आतंकवादी हमेशा उनकी मदद करने वाले दूर के दोस्त हैं जो यहां उनकी भावनाएं भड़काने, पॉलराइज करने और मुद्दों से ध्यान हटाने के काम आते हैं। दो एक साल पहले भी पूरी भक्त प्रजाति और भाजपा की भावनाएं बहुत आहत हुई थी जब सपा के उस वक्त के राज्य सभा सांसद नरेश अग्रवाल ने संसद में ‘‘व्हिस्की में विष्णु बसे, रम में बसे राम’ टाइप कोई चलताऊ सा दोहा सुनाया था। उस वक्त भी भक्त प्रजाति समेत पूरी भाजपा-आरएसएस अग्रवाल के खून के प्यासे और गर्दन के तलबगार बन गए थे। तब अग्रवाल जी की जान बचाने के लिए खुद नरेंद्र भाई मोदी और अमित शाह को सामने आकर उन्हें भाजपा में शामिल करना पड़ा था।
सो साफ है भारतीय देवी देवताओं का मजाक उन्हें तभी बुरा लगता है जब कोई और करे वरना तो योगी जी भगवान हनुमान की जाति बताते हुए उन्हें दलितों से जोड़ चुके हैं और जूते पहन के रामनाम पर चढ़ चुके हैं। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले अर्णब के चैनल पर चल रहे बकवास को बकवास मानते हुए भी यही कहा था कि नहीं पसंद है तो मत देखिये। तो भक्तों और भक्तों के उस्तादो! हम और हमारे भगवान बिल्कुल ठीक हैं। हमारी कोई भावनाएं आहत नहीं हुई हैं। सो तांडव को रहने दें। अगर जरा भी आपका दिल अपने इस देश के लिए धड़कता है तो अर्णब की दलाली पर बोलिये। देखिये कैसे नेशनल सिक्युरिटी से खिलवाड़ हुआ है। आपका ही कई नेताओं को वो यूजलेस, डफर, माई ग्रेट फ्रेंट और अपने पॉकेट में बताता है।
आपकी झांसी की रानी कंगण को सिजोफ्रेनिक और रितिक से सेक्सुअली ऑब्सेस्ड बताता है। भक्तों! वक्त है दिखा दो तुम उनके जरखरीद गुलाम नहीं हो और देश की दलाली से थोड़ा ही सही तुम्हें बुरा तो लगता है! बोलो ताकि हम कह सकें कि आज भी भक्त से आदमी और नागरिक बनने की यात्रा शुरू हो सकती है। बोलो, इससे पहले की और देर हो जाए।
(लेखक पत्रकार एंव फिल्म राइटर हैं, ये उनके निजी विचार हैं)