जब कुछ लोग फेरीवाले गरीबों को उनके मजहब के आधार पर पीट रहे हैं, उसी समय एक मुसलमान लोगों की आस्था को सींचने के लिए मंदिर के लिए भूमिपूजन कर रहा है। हम आप नफरत फैलाने वालों को तुरंत जान जाते हैं, लेकिन इंसानियत बचाने वालों के बारे में कुछ नहीं जानते। दौर ही ऐसा है जहां नफरत फैलाने वाले तेजी से मशहूर हो रहे हैं। ट्विटर पर एक नया नफरती चिंटू अवतरित हुआ है, आजकल खूब चर्चा बटोर रहा है। क्या आप में से कोई मुश्ताक मलिक को जानता है? जानना चाहिए।
मुश्ताक मलिक मध्य प्रदेश के खरगोन के रहने वाले हैं। जिस प्रदेश में दो गरीब फेरीवालों को उनके मजहब के आधार पर पीटा गया, उसी प्रदेश की एक मजदूर बस्ती में मुश्ताक मलिक ने एक मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन कराया। ऐसा उन्होंने खुद से नहीं किया। मुश्ताक मलिक समाजसेवी हैं। उनका जन्मदिन था। गिट्टी खदान क्षेत्र में मजदूर बस्ती के लोगों ने उनसे आग्रह किया था कि वे मंदिर निर्माण का भूमिपूजन करें। मुश्ताक मलिक ने मंदिर का भूमिपूजन किया और बस्ती के बच्चों के साथ केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया।
इस मजदूर बस्ती के लोगों ने मलिक के सामने ये समस्या रखी थी कि यहां एक मंदिर होना चाहिए ताकि वे तीज त्योहारों पर पूजा-पाठ कर सकें। मुश्ताक ने बस्ती के सभी लोगों से रायशुमारी की और सबकी सहमति से मंदिर का भूमिपूजन हो गया। एक महीने में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। मलिक ने वादा किया है कि भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा पूरे धूमधाम से की जाएगी।
हमारे दोस्त सोचते होंगे कि मैं रोज ऐसी कहानियां क्यों लिखता हूं? क्योंकि हमारा समाज ऐसा ही है और इसे बदलने की कोशिश की जा रही है। समाज में अपवाद स्वरूप मौजूद अपराधों को समाज का सच बताया जा रहा है। उससे काम नहीं चल रहा है तो झूठ की फैक्ट्रियां खड़ी कर दी गई हैं। हर झगड़े के वीडियो और तस्वीरों को फर्जी दावों के साथ हिंदू-मुस्लिम नफरत के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
हमारे समाज में सभी धर्मों के लोग हैं। मोटे तौर पर वे आपस में पूरे सौहार्द, प्रेम, सहयोग, मदद और समन्वय से रहते हैं। ऐसा भी नहीं है कि वे एक दूसरे से बहुत बहुत ज्यादा मोहब्बत करते हों, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वे दुश्मन हैं। वे वैसे ही रहते हैं जैसे इंसान को रहना चाहिए। जरूरत पर एक दूसरे की मदद करते हैं। जरूरत पर इंसानियत दिखाते हैं।
मैं ऐसी तमाम दर्जनों कहानियां लिख चुका हूं। पूरा समाज ऐसे ही लोगों से, ऐसी तमाम कहानियों से भरा पड़ा है। जब-जब सियासत समाज को नफरत के दलदल में धकेलती है, मैं समाज की तरफ देखता हूं। हमारा समाज सुंदर है। खूब अच्छे लोग हैं। लेकिन संगठित ढंग से नफरत फैलाने के प्रोजेक्ट से समाज दूषित हो रहा है। दरअसल, नफरत कोरोना से भी ज्यादा संक्रामक है। इसकी तबाही की दर भी किसी भी महामारी से ज्यादा खतरनाक है। आपको इस महामारी से अपने समाज को बचाना है। जय हिंद!