नासिर राना
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछाने में दिन-रात जुटे हैं। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी छोटे दलों को साथ लेकर एक मजबूत गठबंधन बनाकर सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
लम्बे इंतजार के बाद मंगलवार को लखनउफ में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के आवास पर रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी की मुलाकात हुई। जिसके बाद दोनों नेताओं ने गठबंध्न की औपचारिक घोषणा की ।राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह गठबंधन वेस्ट यूपी में ठीक-ठाक अपना प्रभाव डालेगा।
मंगलवार को दो राउंड की बातचीत के बाद दोनों नेताओं में सीटों का बंटवारा भी लगभग पूरी तरह तय हो गया है। सपा सुप्रीमो द्वारा रालोद को 32 सीटों का ऑफर दिया गया है,साथ ही चार से पांच सीटों पर सपा रालोद के सिंबल पर अपने प्रत्याशियोंको चुनाव में उतारेगी।
गौरतलब है कि गठबंधन का औपचारिक ऐलान 21 नवम्बर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन से एक दिन पूर्व होना तय था, मगर गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच मुजफ्फरनगर जनपद की चरथावल विधानसभा सीट को लेकर फंसा था,किन्तु अखिलेश ने साफतौर से कहा कि हाल ही में कांग्रेस पार्टी से अहम जिम्मेदारी छोड़कर सपा में शामिल हरेन्द्र मलिक को मैं चरथावल सीट से चुनाव लड़वाने का वादा कर चुका हूं। जिसके चलते यह सीट सपा के पास ही रहेगी।
रालोद सूत्रों का कहना है कि मीटिंग के आखिर में सपा सुप्रीमो ने कहा कि यदि जयंत चौधरी स्वयं चरथावल सीट सेचुनाव लड़ना चाहते हैं तो हम इस पर सोच-विचार कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं में यह बात भी तय हुई है कि मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों पर सपा व जाट बाहुल्य वाली सीटों पर रालोद चुनाव लड़ेगी, जिसका फायदा दोनों ही दलों को हो सकता है।