AMU किशनगंज के वजूद की लड़ाई में तन,मन,धन सब लगाने को तैयार है एस.आई.ओ: दानियाल अकरम

पटना: आज़ाद भारत का सबसे पिछड़ा और पसमांदा बिहार का किशनगंज जिला 75 सालों बाद भी अपनी बदहाली और अनदेखी पर रोने से ज़्यादा कुछ नहीं कर पा रहा। हाल ही में आई नीति आयोग की रिपोर्ट में इस साल भी किशनगंज और पूरे सीमांचल वही मनहूस खबर आई है की वो विकास के तमाम सूचकांक अब भी देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से है।

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एस.आई.ओ बिहार के अध्यक्ष श्री दानियाल अकरम ने कहा की “नीति आयोग की रिपोर्ट से पता चलता है की किशनगंज पर किस क्रूरता के साथ अन्याय किया जा रहा है। रिपोर्ट बताती है की किशनगंज बिहार का सबसे गरीब जिला है जिसकी लगभग 65 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। किसी के लिए  किशानगंज मुस्लिम बहुल जिला है तो कोई कहता है की यहां विदेशी घुसपैठ होती है।

एस.आई.ओ की नजर में किशनगंज भारत का एकलौता गरीब,पीड़ित,वंचित बहुल जिला है जिसके साथ केंद्र और राज्य दोनो की क्रूर और बेईमान नीति अपनाती आई है”  एस आई ओ हमेशा  से ही  ऐ एम यू किशनगंज के मुद्दे को लेकर बहुत गंभीर है और किशनगंज के पिछड़ेपन को दूर करने में शिक्षा के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण समझती है।

इसीलिए एस आई ओ बार बार ऐ एम यू किशनगंज कैंपस के सामने आने वाली बाधाओं के सम्पूर्ण समाधान के लिए संघर्षरत है। हमने वक्त वक्त पर इस विषय को उचित प्लेटफॉर्म पर उठाया है और हम चाहते हैं की सीमांचल को उसका हक मिले।

अकरम ने कहा की सच्चर कमिटी रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में मुसलमानों के लिए तो आज तक किसी भी सरकार ने वादों के सिवा कुछ भी नहीं किया पर आज से 8साल पहले किशनगंज को ए एम यू की स्थानीय शाखा के रूप में एक बड़ी उम्मीद और सहारा मिला था। किशनगंज के बड़े और नौजवानों को लगा था की अगर यहां ये यूनिवर्सिटी बन कर तैयार हो गई तो उनका भविष्य संवर सकता है उनकी तरक्की के रास्ते खुल सकते हैं। उनके घर से अशिक्षा का अंधेरा दूर हो सकता है और किशनगंज का बच्चा बच्चा देश के कदम से कदम मिला कर विश्वगुरु भारत के निर्माण में अपनी सशक्त भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है,पर राजनीति  किशनगंज और सीमांचल को शिक्षित,सशक्त और आगे बढ़ते नहीं देखना चाहती। बर्बाद और जर्जर हो चुका अस्थाई भवन, न परमानेंट शिक्षक, रुका हुआ सरकारी फंड सब इस बात का प्रमाण हैं की इस संस्था को दम तोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

केंद्र और राज्य में सत्ता पे काबिज लोग सीमांचल के बच्चों को इंसान नहीं समझते तभी तो ऐसी रिपोर्टों के बाद भी उनकी तरफ से कोई अच्छी पहल होती हुई नहीं दिखती। बल्कि पहले  से जो कुछ है उसे भी बर्बाद करने की आकांक्षा हमारी सरकारों में ज्यादा प्रबल नजर आती है। जब राजनीति सिर्फ अपना मतलब निकालने पर ही ध्यान दे तो  फिर राज्य के नागरिक का भरोसा पूरे तंत्र से ही उठ जाता है जो की लोकतंत्र के लिए बहुत भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण है।

एस.आई.ओ बिहार सीमांचल और विशेषकर किशनगंज के लोगों को भरोसा दिलाती है की उनकी इस लड़ाई में हम हर संभव मदद के लिए तैयार हैं । पटना से किशनगंज और दिल्ली तक लोकतंत्र के सभी साधनों को अपनाएंगे और किशनगंज के हक और इंसाफ की लड़ाई को आखिरी अंजाम तक ले जाएंगे। साथ ही हम पूरे सीमांचल बल्कि पूरे बिहार के युवाओं  से अपील करते हैं की वो हमारा साथ दें साथ ही ये विश्वास दिलाते हैं कि उन्हें जहां भी हमारी जरूरत होगी वो एस आई ओ को अपने  साथ खड़ा पाएंगे।