गुरुग्राम में कुछ गुरुद्वारों और हिंदू भाइयों ने अपने दरवाजे खोलकर हिंदुस्तान की और इंसानियत की लाज बचा ली। जब तक ऐसा होता रहेगा, तब तक आपस में हम सबका भरोसा बना रहेगा। गुरुग्राम विवाद क्यों हुआ? दो साल पहले गुरुग्राम में कुछ कथित हिंदू संगठनों ने कुछ जगहों पर सामूहिक रूप से नमाज अदा करने को लेकर बवाल किया, तो प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम संगठनों को बैठाकर नमाज़ पढ़ने के लिए 37 जगहें तय की थीं। अब फिर से बवाल हुआ तो प्रशासन ने इन कथित हिंदू संगठनों के दबाव में आकर कई जगह की परमिशन रद्द कर दी और इस जगहों की संख्या घटाकर 20 कर दी।
यह विशुद्ध गुंडई थी। जिन जगहों पर मुसलमानों को नमाज अदा करने से रोका गया, वे जगहें प्रशासन ने ही एलॉट की थीं। फिर भी पुलिस गुंडों के आगे नतमस्तक हो गई और कुछ जगहों पर अपनी ही दी हुई अनुमति वापस ले ली। यानी प्रशासन ने ऐसा करने वाले उपद्रवियों का साथ दिया।
इसे देखते हुए कई हिंदू और सिख भाई आगे आये हैं। तमाम हिंदुओं ने अपने दरवाजे खोल दिये हैं और कहा है कि मुसलमान भाई आकर हमारे घर में नमाज पढ़ सकते हैं। इसी तरह सिख समाज के लोग कह रहे हैं कि मुसलमान भाई गुरुद्वारे में आकर नमाज़ पढ़ें.
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख शेरदिल सिद्धू ने मुफ़्ती सलीम को ले जाकर गुरुग्राम सदर बाज़ार का गुरुद्वारा दिखाया और कहा कि इस शुक्रवार को इस गुरुद्वारे में गुरुवाणी के साथ में अज़ान भी होगी और जुमे की नमाज़ पढ़ी जाएगी।
शेरदिल सिद्धू ने कहा है, “हम तो देश को बचा रहे हैं. गुरुद्वारा सबके लिए खुला है. गुरुनानक जी के साथ भी एक मुसलमान भाई रहते थे. मुसलमान भाइयों ने भी देश के लिए अपनी जान दी है.”
अक्षय यादव नाम के एक भलेमानुस ने अपनी 100 गज की दुकान जुमे की नमाज पढ़ने के लिए दी है. अक्षय का कहना है कि “हम किसी भी हाल में गुरुग्राम को टूटने नहीं देंगे। मुसलमान चाहें तो हमारे घर के आंगन में भी आकर नमाज़ पढ़ सकते हैं। मैं 40 साल से गुड़गांव में हूं। यहीं पैदा हुआ, मैं इसे टूटने नहीं दूंगा। मेरे जैसे बहुत लोग हैं जो नमाज़ के लिए अपनी जगह देने को तैयार हैं।”
जो मुफ़्ती सलीम जुमे की नमाज के लिए जगह तलाशते घूम रहे थे, अब वे खुश हैं। उन्होंने कहा, “अब उन्हें जुमे की नमाज़ की कोई चिंता नहीं है क्योंकि तमाम हिंदू और सिख उन्हें जगह देने को तैयार हैं। मैं बहुत ख़ुश हूं कि सिद्धू साहब जैसे लोग सामने आए हैं। बस चंद लोग हैं जो माहौल ख़राब करना चाहते हैं।”
हिंदू धर्म का आदि ग्रन्थ ऋग्वेद कहता है कि एकम् सत् विप्रा बहुधा वदन्ति। यानी कि ईश्वर एक है, विद्वान लोग उसे अलग-अलग नामों से जानते हैं। इस हिसाब से किसी को ईश्वर की इबादत से रोकना पाप है। अगर आप धार्मिक हैं तो यह पाप नहीं करेंगे, अगर आप यह करते हैं तो आपसे बड़ा अधर्मी दूसरा नहीं।
इन भाइयों ने उपद्रवियों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारकर बताया है कि असली धर्म और इबादत किसे कहते हैं। हिंदू धर्म की आड़ लेकर ऐसा अधर्म करने वालों का नाश हो! प्राणियों में सद्भावना हो! आपसी प्रेम और भाईचारा बना रहे। समाज को बांटने वाले ही समाज के असली दुश्मन हैं।
(लेखक पत्रकार एंव कथाकार हैं)