लखनऊ: रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर वोटों का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से मुसलमानों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है. इस अभियान को चलाने की जिम्मेदारी पुलिस विभाग को सौंप दी गई है. योगी सरकार का ये बयान कि धर्मांतरण कराने के आरोपियों की सम्प्पति जब्त कर ली जाएगी. एनएसए और गुंडा एक्ट लगाया जाएगा. यह कहकर सामान्य मतदाताओं को संदेश प्रसारित किया गया है कि साम्प्रदायिकता के आधार पर आगामी चुनाव में बट जाएं.
यूपी पुलिस ने उमर गौतम का ये बयान की उसने 1000 से ऊपर व्यक्तियों का धर्म परिवर्तन कराया है, सनसनी पैदा करने वाला है. ऐसा कोई बयान गौतम द्वारा दिया गया संदिग्ध प्रतीत होता है और पुलिस अभिरक्षा में किसी अभियुक्त का बयान किसी पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाना विश्वसनीय नहीं होता.
मुहम्मद शुऐब ने कहा कि यूपी एटीएस ने भी अपना क्रियाकलाप दिखाना शुरू कर दिया है. एटीएस का दावा है कि दो धर्म परिवर्तकों को गिरफ्तार कर लिया गया है. मुफ़्ती काजी जहाँगीर आलम कासमी और उमर गौतम को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अध्यादेश 2020 के तहत गिरफ्तार करके उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है. जबकि उक्त अध्यादेश 27 नवंबर 2020 को लागू हुआ था जो उक्त दोनों व्यक्तियों की गिरफ्तारी से पूर्व 26 मई 2021 को समाप्त हो चुका है. भारतीय दंड विधान की धाराओं में धारा 511 आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के लिए प्रयत्न है न कि अपराध कारित किया जाना.
गिरफ्तार किए गए लोगों के विरुद्ध ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया है कि वे विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता फैला रहे थे या राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे थे. उनके विरुद्ध ये भी आरोप नहीं लगाया गया है कि वे किसी धर्म विशेष के पूजा स्थल को क्षति या अपवित्र कर रहे थे या किसी धर्म का अपमान कर रहे थे. उनपर किसी के विरुद्ध छल करने या बेईमानी से किसी को संपत्ति दिलवाने के आरोप नहीं है.
गिरफ्तार किए गए दोनों लोगों के खिलाफ एटीएस द्वारा षणयंत्र का भी कोई आरोप नहीं दिखता. उन्हें गिरफ्तार करके जनमानस में ये हवा बनाने की कोशिश की जा रही है कि वे आईएसआई की मदद से धर्म परिवर्तन का कोई बड़ा नेटवर्क चला रहे थे. साम्प्रदायिक आधार पर बट जाने वाले मतदाताओं को यूपी सरकार द्वारा प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है.