रवीश का लेख: मेरी भर्ती-मेरी परीक्षा और उम्मीदों के सैलाब के बीच मेरी दहाड़

दहाड़ का इस्तेमाल किया है कि आज की राजनीति की भाषा भी गर्जना, शंखनाद और दहाड़ की हो गई है तो दहाड़ ही सही। पाँच दिन टूट कर केवल काम करने के बाद मुझे दो दिन का चैन मिलना ही चाहिए लेकिन आज और कल में कई राज्यों से और ख़ासकर यूपी से UPsi 2016 और शिक्षक भर्ती परीक्षा के पीड़ितों के कई सौ मैसेज आए।पहले तो मैं व्हाट्स एप में ही सभी को जवाब दे रहा था लेकिन सोचा कि सार्वजनिक रुप से यहाँ लिख देता हूँ।इसे पढ़ने के बाद यूपी के युवाओं को मुझे मैसेज भेजने की तकलीफ़ नहीं उठानी पड़ेगी। इस जवाब को बाक़ी राज्यों के भी साथी पढ़ें। चाहें वे कांग्रेस के राज्य के हों या आम आदमी पार्टी के।

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भर्ती परीक्षाओं के सताए युवाओं, आप लोग अच्छी तरह जानते हैं कि मैंने नौकरी सीरीज़ बंद कर दी है यानी अलग-अलग परीक्षा को लेकर कवर नहीं करता क्योंकि यह संभव नहीं है और न मेरे पास संसाधन है और न मैं दिन रात यही करूंगा। इसलिए मैंने दो साल मेरी भर्ती, मेरी परीक्षा का कवरेज बंद कर दिया है। क्यों बंद किया है, इसे साफ करते हुए मैंने कई लेख लिखे हैं। आप लोगों ने नहीं पढ़े हैं। कोई बात नहीं। मैं केवल रोज़गार पर व्यापक रुप से बात करता हूं। 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इतनी परीक्षाओं को मैं तो नहीं कवर कर सकता।

वैसे भी आप युवाओं की नियति मुसलमानों के प्रति नफरत से तय होनी है, राजनेता इसी को लेकर मेहनत कर रहे हैं तो इसकी प्रतिक्रिया में बाकी दल भी यही करेंगे।हिन्दू हिन्दू करेंगे। मुसलमान मुसलमान करेंगे। मंदिर मंदिर करेंगे, साथ में जाति जाति भी करेंगे। तो आप मेरी नज़र में परीक्षार्थी केवल अस्थायी तौर पर हैं। आप स्थायी रुप से धर्म और जाति को लेकर गौरवों और नफ़रतों के सामान से बने हैं। आप लोग कंप्यूटर की तरह प्रोग्राम्ड हो चुके हैं। आपका श्रेष्ठ प्रदर्शन जाति और धर्म के गौरव और इनके नाम पर नफरत के मामले में ही निकल कर आने वाला है। आता भी है। मैंने कई बार कहा है कि मुझे सांप्रदायिक युवाओं का हीरो नहीं बनना है। सांप्रदायिक और जातिवादी युवाओं से  गाली मिल जाए वो ठीक है, लेकिन मैं ताली नहीं चाहता हूं। प्रधानमंत्री शायद ठीक करते हैं कि नौकरी की बात नहीं करते हैं। वे जानते हैं कि युवाओं की क्वालिटी ही यही है। आप से मतलब व्यक्तिगत नहीं है। इसे व्यापक संदर्भ में देखें।

किसी की पुण्यतिथि मनाई जाए, किसी के राजा की मूर्ति लगे, किसी के नाम पर मंदिर बने। कुछ नहीं तो एक्सप्रेस वे बन जाए। यही सब होगा। कभी किसी एक्सप्रेस वे के किनारे जाकर देखिए कि कितना विकास आया है । राजनीति बर्बाद हो चुकी है। संस्थाएं भी। इसमें आपकी भी भागीदारी थी और तो आपको भोगना भी पड़ेगा। हम तो भोग ही रहे हैं। आपके जीवन तक अब यही चलेगा। सरकार किसी की हो। नौकरी के बजाए नेता तीर्थ यात्रा कराएगा या मंदिर में जाकर फोटो खिंचाएगा या मुसलमान को गाली देगा, आप खुश हो जाएंगे। जो आप चाहते थे वो अगर खूब मिल रहा है तो फिर डांस करना चाहिए। नौकरी नहीं मांगनी चाहिए।

तो इस तरह यह मेरा एक और बार का जवाब है। अपने साथियों को बता दें। मुझे फोन करने या सैंकड़ों मैसेज से कोई फायदा नहीं है। एक बात और। जब भी मैं बेरोज़गारी को लेकर प्राइम टाइम करता हूं उसे युवा ही नहीं देखते हैं। आप बेरोज़गारी पर किए गए किसी भी प्राइम टाइम का व्यूज़ देखेंगे तो निराशाजनक है। मैं तब भी करता हूं और करूंगा लेकिन मेरी भर्ती और मेरी वाली परीक्षा का आंदोलन नहीं करूंगा। मैं बस उदाहरण के लिए बता रहा हूँ ।आप युवा केवल मेरी भर्ती मेरी परीक्षा के आगे सोच ही नहीं सकते हैं। नौकरी मिलते ही दहेज और दंगों को सही बताने में लग जाने वाले हैं। मैं कुछ अपवाद की बात नहीं कर रहा। अच्छे युवा तो होते ही हैं लेकिन मेरा फ़ोकस समस्या पर है। इसकी सज़ा उन्हें भी भुगतनी है जो सांप्रदायिक नहीं हैं।

एक गुज़ारिश और है। इसे पढ़ने के बाद मुझे व्हाट्स एप में प्लीज़ न लिखें। मुझे आपसे वोट नहीं चाहिए।मैं अपनी लड़ाई अकेला लड़ता हूं। आप चाहें तो आई टी सेल में भर्ती हो जाएं या जो करें, मुझे गाली दें, एंटी नेशनल कहें लेकिन आप युवाओं से इस तरह साफ साफ बात करने वाला अक्खा कंट्री में मैं अकेला बंदा हूं। हां आप लोगों के लिए दिल में अफसोस ज़रूर होता है। आप सभी को कितना बदल दिया गया है। आप लोग कितने अच्छे हुआ करते थे। कितना कमाल कर सकते थे। आप सभी को बहुत सारा प्यार, लेकिन मुझसे ये न कहें कि सब बिक गए हैं, आपसे ही उम्मीद हैं। मैं हिन्दी प्रदेशों की शादियों की हकीकत जानता हूं। वहां जाकर लगता है कि उम्मीद मुझ पर ठेल कर भाई लोग मंडल सजाने में बिजी हैं। घटिया और चमकऊआ कोट पहन कर डांस कर रहे हैं। अगर बेरोज़गारी मुद्दा होता तो यू ट्यूब पर यह शो कई करोड़ बार देखा जा चुका होता। मुझे ब्लफ़ न दिया करें। आपका ब्लफ़मास्टर कोई और है। उसके पीछे चला करें। चलना ही पड़ेगा। विकल्प भी नहीं है। लेकिन मेरा विकल्प आप निश्चित रुप से नहीं है। जय हिन्द।