यूपी में दरोगा की भर्ती परीक्षा में सॉल्वर के पकड़े जाने की ख़बर आई थी। उसे लेकर कर हमने ज़रूर लिखा था क्योंकि तब शिक्षक भर्ती परीक्षा रद्द हो गई थी। अब सरकार ने रद्द नहीं किया तो इसमें मेरे लिखने या नहीं लिखने का कोई दोष नहीं है। सरकार पर मेरे किसी शो का असर नहीं होता है। हाँ, आई टी सेल से आप मदद ले सकते हैं। आई टी सेल ने हाल ही में मुझे लेकर झूठ फैला दिया कि मैंने जनरल रावत की पत्नी के बारे में कोई टिप्पणी की है। जो कि मैंने की ही नहीं थी। और यह झूठ गाँव गाँव फैला दिया। तो आई टी सेल में वो ताक़त है। आप नौकरी से जुड़े मुद्दों के लिए हमेशा आई टी सेल के पास जाएँ। नौकरी भी मिलेगी और धर्म का गौरव भी मिलेगा। डबल फ़ायदा।
दरोग़ा परीक्षा की रिस्पांस शीट आने के बाद बहुत से छात्र लिख रहे हैं कि मैं रद्द किए जाने की माँग करूँ। लिखूँ। मुझे हंसी आ रही है। मेरे लिखने से योगी सरकार पर असर होता तो ग़ाज़ियाबाद के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर आ गए होते। मैं रोज़ लिखता हूँ कि वहाँ डॉक्टर नहीं हैं तब भी कोई डाक्टर नहीं आया। इसलिए मुझे किसी परीक्षा को लेकर इस स्तर पर बीच में नहीं पड़ना चाहिए। मेरे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि रिपोर्टर भेज कर पता करूँ कि छात्रों का दावा सही है या ग़लत। जिनका रिज़ल्ट आया है वो तो खुश होंगे। उनका भी एक पक्ष होगा। हम जानते भी नहीं कि रिस्पांस शीट और नतीजे में क्या अंतर होता है। और मुझे टैग न करें। मैंने नौकरी से संबंधित कवरेज बंद कर दिया है। क्यों किया है, इसे लेकर मेरे लेख आप सर्च कर पढ़ सकते हैं। मैं हिलने वाला नहीं हूँ।मुझे मैसेज भेजने की अभद्रता न करें। फ़ाइनल बात बता दी है।
बेहतर है कि आप ख़ुद ही सरकार से कहिए। सिर्फ़ इसलिए कि किसी को सौ में सौ नंबर मिले हैं रिज़ल्ट फ़र्ज़ी नहीं हो जाता है। फर्ज़ीवाड़ा कहने के लिए कई चीज़ों की ज़रूरत है जो मेरे पास नहीं है। मुझे मैसेज भेजने से कुछ नहीं होगा। बहुत से नेता ट्विटर पर हैं उनसे सवाल करें। सॉल्वर पकड़ा गया था तो पहले माँग करनी चाहिए थी, छात्रों ने की भी होगी। अब सरकार ने नहीं माना तो मैं क्या करूँ। सरकार के अपने कारण रहे होंगे।
वैसे भी यूपी बिहार के नौजवानों को नौकरी की चिन्ता छोड़ देनी चाहिए। इस समय राजनीति में धर्म का टाइम चल रहा है। प्रधानमंत्री धर्म को लेकर इतनी मेहनत कर रहे हैं, दिन भर काशी में तरह तरह के कार्यक्रम कर रहे हैं ताकि टीवी पर लाइव कवरेज होता रहे। ऐसे देश के युवाओं का नौकरी जैसे तुच्छ मसले की चिन्ता करना दुखदायी है। धर्म का गौरव स्थापित हो रहा है। आप नौकरी की माँग कर रहे हैं। जो आप चाहते थे वो आपको मिल रहा है तो उसका आनंद लीजिए। अच्छा करते हैं कि प्रधानमंत्री नौकरी की बात नहीं करते हैं, तभी तो युवाओं का प्रचंड समर्थन मिलता है। मेरी तरह नौकरी की बात करेंगे तो एक ही परीक्षा के दो गुट लपेट लेंगे।देश भर की हज़ार परीक्षाओं के लाखों छात्र दिन भर मैसेज करने लगेंगे। उनके पास तो कई मंत्री हैं इस काम के लिए। मैं तो अकेला ही मैसेज डिलिट करता रहता हूँ और बीमार हो जाता हूँ।
मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने मेरी हालत देखकर समझ लिया होगा कि नौकरी के टॉपिक से दूर रहो। उन्होंने सोचा होगा कि सारा टाइम धर्म में लगाओ। कोई ग़लत भी नहीं कहेगा। कोई पूजा कर रहा है, दर्शन कर रहा है, उसे ग़लत कैसे कह सकते हैं। जब आपके प्रधानमंत्री नौकरी की बात नहीं करते हैं तो मुझे एक बात का जवाब दीजिए। मुझे नौकरी कीं बात क्यों करनी चाहिए?आप मुझे वोट देते हैं?
(लेखक जाने माने पत्रकार हैं, यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)