मोदी जी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनने से पहले अजय मिश्रा क्या थे? लखीमपुर खीरी की घटना में बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ता भी मरे हैं, उनके लिए भी प्रधानमंत्री ने दो शब्द नहीं कहे हैं।
किसानों की मौत पर उनसे संवेदना के नक़ली शब्दों की भी उम्मीद बेकार है। आंदोलन से जुड़े किसानों की अलग अलग कारणों से सात सौ से अधिक किसानों की मौत हुई तो अपने भाषणों में मानवता और मानवीय संवेदना का बार बार ज़िक्र करने वाले प्रधानमंत्री ने इन दो शब्दों का एक बार भी ज़िक्र नहीं किया। यही इनकी लोकप्रियता का कारण भी है।
तरह तरह के वीडियो सामने आने लगे हैं जिनसे पता चल रहा है कि थार जीप ने आराम से चल रहे किसानों को टक्कर मारी। इस वीडियो को देखने के बाद संदेह नहीं रह जाता कि किसानों की हत्या की गई है। गृह राज्य मंत्री का यह तर्क ठहरता दिखता नहीं है कि किसान उग्र थे। तलवार, पत्थर और डंडे से हमलावर थे। यह तर्क ध्वस्त हो चुका है। देर से आने के कारण पहला वीडियो कार्यक्रम में नहीं है लेकिन दूसरा वीडियो है जिससे काफ़ी कुछ पता चलता है।
अब रही मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की बात। इनका कहना है कि मौक़े पर नहीं थे लेकिन कई बयानों में आया है कि ये जीप पर थे और इन्हें किसानों ने ही जाने दिया।यह भी सुनने को मिला कि पुलिस इन्हें बचा कर ले गई।
इस तरह से लखीमपुर खीरी की घटना पर सरकार का जो रवैया है लगता नहीं कि जाँच से कुछ आने वाला है। इसकी लीपापोती हो जाएगी।हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से उम्मीद करना बेकार है।
किसानों की सराहना करनी होगी। अपने साथियों को खोने के बाद भी उन्होंने अपना धरना वापस लिया। जाँच की माँग पूरी होने के बाद पीछे हट कर शांति के माहौल को रास्ता दिया। वरना वे करनाल की तरह धरने पर बैठ जाते तो मुश्किल होता।
25 सितंबर को अजय मिश्रा ने बयान दिया कि वे विधायक और सांसद बनने से पहले क्या थे, किसान समझ लें। मोदी जी ही बता सकते हैं कि वे क्या थे? किस तरह के कार्यों में लिप्त थे या उस इलाक़े के लोग ही पुराने क़िस्से बता सकते हैं।