रवीश का लेख: अग्निवीर, अग्निवीर, अग्निवीर, थोड़े से युवा नीति से नाराज़ हैं, राजनीति से नहीं

खेल समझिए। करोड़ों युवा अलग-अलग नौकरियों की तैयारी करते हैं। भर्ती की नीति को लेकर सभी के मन में सवाल नहीं उठे, इसलिए कहा गया कि इसमें आई टी और पोलिटेक्निक को भी मौक़ा मिलेगा,जैसे पहले नहीं मिलता रहा होगा।जब सेना की भर्ती की तैयारी करने वाले अग्निपथ योजना को लेकर आशंकित होंगे, तो आईटी के लाखों छात्र आशान्वित होंगे कि उन्हें मौक़ा मिल रहा है। इसी तरह आप देखेंगे कि अग्निपथ के लाँच होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ट्विट करते हैं कि डेढ़ साल में दस लाख भर्तियाँ होंगी। ताकी युवाओं का वर्ग अलग-अलग फ़ैसलों और बोलियों के आधार पर बंट जाए और जो विरोध करेंगे वो चंद नज़र आए। इसलिए कुल मिलाकर युवाओं को ठगने वाली नीतियों को इस तरह लाँच किया गया कि वे समग्र रुप से देख ही न सकें। अपने फ़ायदे और नुक़सान के आधार पर आधे इधर, बाक़ी उधर में बंट जाए।

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इसलिए मेरी राय में जैसा कि पहले आपने किया है। हर ग़लत नीतियों का विरोध किया है। यह कहा है कि मोदी जी ने कर रहे हैं, सोच समझ कर ही कर रहे हैं, इस नीति का भी विरोध मत कीजिए। समर्थन में रहिए। इस समय नौकरी बड़ा प्रश्न नहीं है। धर्म है। जिसकी राजनीति आप काफ़ी शानदार तरीक़े से कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि इस मामले में आपने जितनी तैयारी की है, आप रिज़ल्ट के लिए भी क़ुर्बानी देंगे। मैं चाहूँगा कि ग़लत हो जाऊँ लेकिन आप युवा हमेशा मुझे सही साबित करते हैं।

विपक्ष को नीतियों की आलोचना करनी चाहिए लेकिन नाराज़गी के नाम पर होने वाले प्रदर्शनों से बचना चाहिए। सरकारी भर्तियों को लेकर विपक्ष ने काफ़ी उम्मीद से आवाज़ उठाई, मगर युवाओं ने उनका आभार जताते हुए वोट कहीं और दिया। विपक्ष को अब वोट नहीं मिलेगा। ऐसे हर व्यक्ति से दूर रहें जो ऐसे प्रदर्शनों और नाराज़गी में अपने लिए उम्मीद रखते हैं। हो सके तो इस प्राइम टाइम में कही गई मेरी बात को याद रखें।
“युवा नीति से नाराज़ हैं। राजनीति से नहीं। सेना से चार साल में निकाल दिए जाएँगे लेकिन धर्म से मरने के बाद भी कोई नहीं निकाला जा सकता।” आप देखिएगा, शुरुआती विरोध के बाद युवा इसे बढ़चढ़ कर स्वीकार करेंगे।

चूँकि विरोध कर रहे हैं तो कवर करने में बुराई नहीं है, बस इस विरोध में विपक्ष बनने की उम्मीद में बुराई है क्योंकि इन्हीं युवाओं ने जनता के बीच बनने वाले हर तरह के विपक्ष का विरोध किया है और कुचला भी है।सांप्रदायिक युवाओं की ताली कभी मत लीजिए। मैंने अपने फ़ेसबुक पेज पर कई बार लिखा है। मुझे सांप्रदायिक युवाओं को हीरो नहीं बनना है। मैं युवाओं से दो या तीन प्रतिशत ही उम्मीद करता हूँ कि वे प्रिय राजनीतिक दल का समर्थन करते हुए उसकी कुछ ग़लत नीतियों का विरोध कर सकते हैं। आज के युवा अपने प्रिय दल का समर्थन करने के लिए एक नहीं, हर तरह की ग़लत नीतियों को गले लगा लेते हैं। अब इससे ज़्यादा साफ-साफ भारत के युवाओं से मेरे अलावा कोई और नहीं बोल सकता,इसलिए युवा मुझे पसंद भी करते हैं। उन्हें पता है कि मैं भी उन्हें ठीक से समझता हूँ।