नई दिल्लीः केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि सुधार क़ानून के विरोध में किसानों का आंदोलन लगभग एक महीने से जारी है। इस आंदोलन को सरकार समर्थित मीडिया एंव संगठनों ने खालिस्तानी कहकर भी बदनाम करने की कोशिश की हैं, लेकिन आंदोलन जारी है। अब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के बयान को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिशें जा रही हैं, जिस पर भाकियू नेता ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन में फूट डालने वालों की चाल है।
राकेश टिकैत ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि कल मैंने पलवल में अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। उसे कुछ शरारती यह कहकर फैला रहे हैं कि मैंने ब्राह्मणों के ख़िलाफ़ बोला है। देखिए, किसान की केवल एक पहचान है, किसान। सब जातियों के लोग खेती करते हैं। पंडित भी बहुसंख्या में किसान हैं। मेरे कहने का आशय क्या है? ये सरकार किसान के ख़िलाफ़ है। ये किसानों की ख़ुद्दारी से चिढ़ती है। इसे चार-छह बड़े कॉरपोरेट मालिक चला रहे हैं, बाक़ी सब ग़ुलाम चाहिए। ये बिल हमारी इसी ख़ुद्दारी का इलाज करने के लिए लाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि मैं कहता हूं कि किसान को मार पड़ेगी तो वो सबको पड़ेगी। क्या जाट-गुज्जर, क्या यादव -कुर्मी और क्या ठाकुर- पंडित। मेरा कहना है कि जो किसानों की लड़ाई में साथ नहीं आएगा, उसका इलाज भी ये कॉरपोरेट्स की सरकार करेगी। एक बात और स्पष्ट कर दूं की इस लड़ाई में सब साथ हैं। मैंने मंदिरों और उनके कर्ताधर्ताओं से अपील की थी की गुरुद्वारों की तरह वो भी बढ़-चढ़कर किसानों के साथ आएं।
भारतीय किसान यूनियन के नेता ने कहा कि किसानों के लिए सहजानंद सरस्वती जी लड़े थे, आज़ादी के लिए पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ने, चंद्रशेखर आज़ाद ने क़ुर्बानी दी थी। मेरी बात का अनर्थ ना करें। ये आंदोलन में फूट डालने वालों की चाल है। इस सबके बाद भी अगर किसी को मेरी किसी बात से ठेस पहुंची हो तो मैं सौ दफ़ा माफ़ी मांगने को तैयार हूं। राकेश टिकैत कुछ नहीं है। राकेश टिकैत का अहम आंदोलन से बड़ा नहीं है। देश सबसे ऊपर है। किसान सबसे ऊपर है। आप आगे आईये, राकेश आपके पीछे डटा रहेगा।