जिस वक्त 20 हज़ार भारतीय नागरिक युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे हैं, उस वक्त PM मोदी चुनावी रैलियां कर रहे हैं

खाड़ी युद्ध में जिस एयरइंडिया ने करीब दो लाख भारतीयों को सुरक्षित निकाला था, वह एयरइंडिया नरेंद्र मोदी बेचकर खा गए। आज के 30 साल पहले भारत अपने दो लाख लोगों को युद्धग्रस्त देश से निकाल लाया था। वह भारत अब न्यू इंडिया हो गया है। न्यू इंडिया का प्रधानमंत्री सिर्फ चुनाव लड़ता है और मंच सजाकर झूठ बोलता है। जिस वक्त 20 हजार भारतीय किसी युद्धग्रस्त देश में फंसे हों, उस समय देश का प्रधानमंत्री रैली कर रहा हो, यह देखना बड़ा त्रासद है।

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अगस्त 1990 में खाड़ी युद्ध शुरू हुआ तब वहां लगभग दो लाख भारतीय फंसे थे। उस वक़्त के विदेश मंत्री इंदर कुमार गुजराल बग़दाद पहुंचे। सद्दाम हुसैन से उनकी मुलाकात हुई और भारतीयों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन की इजाजत मिल गई। एयरइंडिया के विमानों ने करीब पांच सौ उड़ानें भरी थीं। आपदा में अवसर देखकर किसी से दोगुना किराया वसूलने जैसी निकृष्टता भी नहीं की गई थी। भारतीयों को रेस्क्यू कराने का यह दुनिया का सबसे बड़ा अभियान था।

 आज यूक्रेन में फंसे 20 हजार भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए सरकार भाड़े पर विमान भेजेगी, जैसे आप ओला बुक करते हैं या किसी इमरजेंसी में किराये पर टेम्पू ले लेते हैं। यह अंग्रेजी राज नहीं है, उनके जासूसों का कंपनी राज है।

ऐसा कायर नेतृत्व इस देश में कभी नहीं था। ये ऐसे घर के शेर हैं जो बाहर निकलते ही लात खाकर लौटता है। जिस भारत ने तीन दशक पहले दो लाख लोगों को रेस्क्यू किया, वही भारत आज तीन दशक बाद अपने 20 हजार लोगों को यूक्रेन से निकालने की योजना तक नहीं बना पा रहा है। सरकार के पास अपनी एयरलाइन थी, लेकिन एक कुलबोरन टाइप आदमी प्रधानमंत्री बन गया जो एयरलाइन ही बेच कर खा गया।

जब देश को अपने लोगों के साथ खड़े होना है, जब अपनी विदेश नीति स्पष्ट करनी है, जब देश-दुनिया को कोई संदेश देना है, तब यह सरकार एक राज्य का चुनाव जीतने पर फोकस किये है। ऐसा लग रहा है कि सरकार कोई और चला रहा है, प्रधानमंत्री का काम बस प्रचार करना है।

सबसे बड़ी चिरकुटई तो यह कि वहां फंसे कुछ लोगों से दो-तीन गुना ज्यादा किराया वसूलने की खबरें हैं। बहुत से लोग पूछते हैं न कि 70 साल में क्या हुआ? हमारी विकास यात्रा जैसी भी रही, लेकिन भारत नाम के एक विशाल राष्ट्र राज्य की तरफ से ऐसी लुच्चई कभी नहीं हुई थी।

(लेखक कथाकार एंव पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)