कोहिमा/नई दिल्ली: नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में कम से कम 11 आम लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने रविवार को बताया कि वह इस घटना की जांच कर रही है, ताकि यह पता चल सके कि क्या यह गलत पहचान का मामला है। इस हिंसा पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया है, “नगालैंड में अपनी जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदना. अमित शाह को उनके पद से हटा देना चाहिए. उग्रवादियों के साथ उनके समझौता करने की बात धोख़ा थी. नवंबर में मणिपुर में सातअफ़सरों को उग्रवादियों ने मार दिया था. उत्तरपूर्व में शांति नहीं है, केवल हिंसा है.”
इसके साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मामले में गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी तय करते हए सवाल उठाया है कि जब लोग अपने ही देश और ज़मीन में सुरक्षित नहीं हैं तो गृह मंत्रालय क्या कर रहा है.
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, “ये एक हृदय विदारक घटना है. सरकार को सही मायनों में इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि जब अपनी ही ज़मीन पर आम लोगों के साथ – साथ सुरक्षाकर्मी भी सुरक्षित नहीं हैं तो गृह मंत्रालय क्या कर रहा है.”
This is heart wrenching. GOI must give a real reply.
What exactly is the home ministry doing when neither civilians nor security personnel are safe in our own land?#Nagaland pic.twitter.com/h7uS1LegzJ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 5, 2021
AFSPA को समाप्त किया जाए SIO
इस हिंसा की निंदा स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडिया (SIO) ने भी की है। एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद सलमान अहमद ने एक बयान जारी कहा कि नागालैंड के ओटिंग गांव में सशस्त्र बलों द्वारा 11 नागरिकों की हत्या अत्यंत निंदनीय है। एसआईओ पीड़ित परिवारों के साथ इस कठिन समय में खड़ी है और दोषियों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई की मांग करती है।
मुहम्मद सलमान अहमद ने कहा कि समय आ गया है कि अफ़्सपा जैसे क़ानून, जो सशस्त्र बलों को हत्या करने का एक लाइसेंस प्रदान करते हैं, को पूरी तरह से निरस्त किया जाए और वापस लिया जाए। हमें एक समाज के रूप में राष्ट्रीय सुरक्षा के मायनों पर भी पुनर्विचार करना चाहिए कि कैसे यह लोगों के जीवन और सुरक्षा को प्रभावित करता है।