नई दिल्लीः स्टूडेंट इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी पर नाराज़गी व्यक्त की है। एसआईओ ने एक बयान जारी कहा कि एहसान जाफरी मामले में नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट भारतीय इतिहास के सबसे खराब दंगों में से एक दंगे में राज्य सरकार के ज़ुल्म का खुला समर्थन है। दूसरी ओर तथाकथित मनगढंत मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने के बहाने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का दुरुपयोग भारतीय नागरिकों की मौलिक स्वतंत्रता पर ख़तरनाक प्रभाव डालने वाला है, और साथ ही यह हमारे लोकतंत्र के स्तंभों के टूटने को दर्शाता है।
एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सलमान ने कहा कि गुजरात दंगों के पीड़ितों के साथ खड़ी एक बहादुर दिग्गज तीस्ता सीतलवाड़ और आ रबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी उन सभी को डराने का प्रयास है जो ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष-रहित व्यवस्था बनाने का सरकार का उद्देश्य केवल राजनीतिक दलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को चुप कराना भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, छात्रों, किसानों और युवा इस पुलिस राज्य की मार झेल रहे हैं। इस प्रक्रिया में सरकार ऐतिहासिक तथ्यों को दोबारा लिखने और हमारी सामूहिक स्मृति को मिटाने की कोशिश कर रहा है।
मोहम्मद सलमान अहमद ने कहा कि हम इस देश की बहादुर जनता से आह्वान करते हैं कि वे मायूस न हों और हार न मानें। हम संघर्ष के नायकों के साथ एकजुटता से खड़े होने का संकल्प लेते हैं और इस गणतंत्र को पुनः प्राप्त करने और समतामूलक समाज का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।