संविधान दिवस पर पीस पार्टी ने उठाया आर्टिकल 341 का मुद्दा, डॉ. अय्यूब ने पूछे तीखे सवाल

नई दिल्ली/लखनऊः पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अय्यूब ने संविधान दिवस पर देशवासियों को संविधान दिवस की दिवस की मुबारकबाद देने के साथ साथ आर्टिकल 341 का मुद्दा उठाया है। उन्होंने अपने द्वारा पूर्व में कहे गए कथन को एक बार फिर दोहराया है। पूर्व विधायक डॉ. अय्यूब ने कहा कि डॉक्टर अय्यूब ने सवाल किया है कि अम्बेडकर जी ने कैबिनेट मंत्री रहते, सन 1950 की कैबिनेट मीटिंग में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध दलितों को दलित आरक्षण से बाहर कराने का अध्यादेश पास कराया। सिख, बौद्ध को बाद में आरक्षण मिला, पर मुस्लिम, ईसाई दलित को नहीं। क्या यह धर्म के आधार पर देश के दलितों के साथ अम्बेडकर जी का भेदभाव नहीं?

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क्या है आर्टिकिल 341

बता दें कि पीस पार्टी के अध्यक्ष आर्टिकल 341 को समाप्त करने पर कई बार बयान दे चुके हैं। दरअस्ल  10 अगस्त 1950 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सरकार ने एक अध्यादेश पास कराया था। जिसके मुताबिक़ अनुसूचित जाति के लोगो में केवल उन्हीं वर्गों आरक्षण तथा अन्य सुविधाओं का लाभ मिल सकता था  जो हिन्दू हों। इसके मुताबिक अनुसूचित जाति के किसी ऐसे व्यक्ति को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता था जो गैर हिन्दू हैं। इसके खिलाफ सिख समुदाय के दलितों ने इसे असंवैधानिक अन्याय पूर्ण बताकर इसके खिलाफ अपने अधिकार की लड़ाई लड़ी तब 1956 में इस अध्यादेश में संशोधन करके हिंदू और सिख को भी इसमें शामिल कर लिया गया.

इसके बाद 1958 में दोबारा इस अध्यादेश को संशोधन करते यह बढ़ोतरी भी कि जिन दलितों के पूर्वज कभी हिदू धर्म से निकल गए थे यदि वह पुनः हिन्दू धर्म स्वीकार करें तो उन्हें भी आरक्षण व अन्य सुविधायें मिलेंगी। 1990 में इस अध्यादेश में एक संशोधन करके इसमें बौद्ध दलितों को भी शामिल कर लिया गया। लेकिन मुस्लिम एवं ईसाई दलित आज भी अपने आरक्षण के संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं। और समय समय पर उनके द्वारा इसमें संशोधन की मांग होती रही है। इस आर्टिकल में शामिल होने के लिये संघर्ष करने वाले नेताओं का कहना है कि आर्टिकिल 341 में शामिल न करके मुस्लिम दलितों, एंव ईसाईयों से आरक्षण का अधिकार असंवैधानिक तरीके से छीना गया है जो कि संविधान की धारा 14 ,15 ,16 और 25 का खुला उल्लघन है।

किसान आंदोलन का किया समर्थन

पीस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शादाब चौहान ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने किसानों पर हुए बल प्रयोग की तुलना 26/11 मुंबई हमले से की है। शादाब ने एक वीडियो जारी करके कहा कि 12 साल पहले आज ही के दिन देश पर आतंकवादियों ने हमला किया था, और आज 12 साल बाद देश के अन्नदाता पर पुलिस ने सर्दी में वाटर कैनन, आसू गैस के गोले दागे हैं। उन्होंने कहा कि देश का अन्नदाता इस सरकार की पूंजीवादी नीतियों के भली प्रकार जान चुका है, सरकार किसान विरोधी तीनों काले कानून वापस लेने ही होंगे।

शादाब ने हाल में हिंदुस्तान अख़बार में प्रकाशित विवादित विज्ञापन के मामले को संविधान पर उठाया है। उन्होंने कहा कि आज 26 नवंबर यानी संविधान दिवस है। संवैधानिक एंव ग़ैर संवैधानिक पदों पर बैठे लोग संविधान दिवस की बधाई दे रहे हैं। 23 नवंबर को ‘हिंदुस्तान’ में संविधान की प्रस्तावना की धज्जियां उड़ाने वाला विज्ञापन प्रकाशित हुआ था। अगर सचमुच संविधान के रक्षक हैं तो विज्ञापनदाता के खिलाफ एक्शन लें। बता दें कि इसी साल पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कथित संविधान विरोधी विज्ञापन प्रकाशित कराने के आरोप में ढ़ाई महीने जेल रहकर आए थे। अब शादाब ने मांग की है जब उनकी पार्टी अध्यक्ष को ईद की मुबारकबाद देने के विज्ञापन के मामले में जेल में रखा जा सकता है, तब भारतीय संविधान की प्रस्तावना की धज्जियां उड़ाने वाले शख्स के खिलाफ कार्रावाई क्यों नहीं की जा रही है। जानकारी के लिये बता दें कि 23 नवंबर को इलाहबाद निवासी अतुल द्विवेदी नाम के हिंदुवादी नेता एक विज्ञापन प्रकाशित कराया था, जिसमें भारत को हिंदुराष्ट्र बताया गया था।