जयपुरः जाने-माने टीवी प्रसारक रवीश कुमार ने आज हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जन संचार विश्व विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए 2020-21 के सत्र की औपचारिक शुरुआत की। अपने एक घंटे से अधिक के सम्बोधन में रवीश कुमार ने उन सारे खतरों को इंगित किया जिनसे आज “अच्छी पत्रकारिता” को लड़ना है। उनका कहना था कि पत्रकारिता के “पेशे पर कब्जे की बड़ी लड़ाई” चल रही है। तानाशाही ताक़तें इसे “खत्म कर देने” को आमादा है। उन्होंने पत्रकारिता की स्नातक डिग्री के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्रों से कहा कि वे ऐसे खतरनाक समय में इस पेशे को चुन रहे हैं इसलिए वे “साहसी” हैं। यह साहसिक काम है क्योंकि पत्रकारिता पर कब्जे की कोशिशें हो रही है। रवीश कुमार ने छात्रों से कहा: “आपके साहस को बधाई।”
उन्होंने छात्रों से कहा कि आप जब पत्रकार बनते हैं तब एक बड़ी जवाबदेही अपने ऊपर लेते हैं। पत्रकारिता के इस्तेमाल से लोकतन्त्र को खत्म किया जा रहा है मगर इसी का इस्तेमाल करते हुए इसे बचाना भी होगा। पत्रकारिता का मकसद अभी खत्म नहीं हुआ है।
उनका आह्वान था कि लोकतन्त्र को बचाने के लिए नया मोर्चा ही खोलें। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि जब लोकतन्त्र पर खतरा आया तो पत्रकारिता की लीगेसी (विरासती पत्रकारिता) ने कुछ नहीं किया। नागरिकता की समझ के बगैर पत्रकारिता की समझ हासिल नहीं की जा सकती। आज पत्रकार ही तानाशाह के प्रवक्ता बन रहे हैं और नागरिक को एकांगी बनाया जा रहा है। नव-तानाशाह मीडिया की सवारी करके आते हैं। लोकतन्त्र को खत्म करते हैं।
यह कहते हुए कि पत्रकारिता के मानकों में बदलाव आया है उन्होंने कहा कि नए विश्वविद्यालय में बदलाव को दर्ज करने वाला आर्काइव (संग्रहालय) तैयार किया जाय जहां अनुसंधानकर्ताओं के साथ कामकाजी पत्रकार भी आयें और अपने ज्ञान को समृद्ध करें। छात्रों को लाइब्रेरी में खूब किताबें पढ़ने की सलाह देते हुए रवीश कुमार ने कहा कि किताब इतनी पढी जाय कि उसकी जिल्द हिल जाये।