न खाऊंगा न खाने दुंगा का दावा करने वाले ‘प्रधानसेवक’ की सरकार ने चंदा कोचर को क्लीन चिट दे दी, जानिये पूरा मामला?

गिरीश मालवीय

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न खाऊंगा न खाने दूँगा की बात करने वालो ने ICICI Bank की पूर्व CEO चंदा कोचर को क्लीन चिट दे दी है. वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत कह रहे हैं  कि “प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) से जुड़ी अथॉरिटी ने चंदा कोचर की प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश खारिज कर दिया और उन्हें क्लीन चिट दे दी। इसके साथ ही ED अब चंदा कोचर की प्रॉपर्टी जब्त नहीं करेगी। इससे इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट (IBA) के सेक्शन 12A के तहत  वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का डेट रिस्ट्रक्चरिंग के लिए अब आवेदन कर सकती है।

अगर यह सच है तो साफ दिख रहा है कि मोदी सरकार ICICI Bank की पूर्व CEO चंदा कोचर को बचा रही है। दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) को खरीदने के लिए अडानी ग्रुप इतना व्यग्र है कि उसने  संशोधित बोली जमा करने की समय सीमा 9 नवंबर को खत्म हो जाने के बाद शनिवार को DHFL के लिए पहले से ऊंची बोली लगा दी है।

DHFL को खरीदने के लिए ओकट्री, अडानी एंटरप्राइजेज, पीरामल इंडस्ट्रीज और SC लोवी ने बोली लगाई थी इसमे ओकट्री ने सबसे ज्यादा 31,000 करोड़ रुपये की संशोधित पेशकश दी थी लेकिन अब अडानी ने अचानक पूरी कंपनी के लिए ओकट्री की बोली से 250 करोड़ रुपए ज्यादा ऊंची बोली लगाने का फैसला किया। इस बात से पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड और ओकट्री नाराज हो गए हैं पीरामल ने SBI को लिखा है कि यदि अडानी की बोली स्वीकार की जाती है, तो वह कानूनी कदम उठाएगी। पीरामल का तो यहाँ तक कहना है कि उसके द्वारा जमा किए गए प्लान को लीक कर दिया गया है।

पीरामल ने कहा है कि CoC यदि अडानी की बोली को स्वीकार करता है, तो वह और अन्य सभी बोलीदाता नीलामी की दौर से बाहर हो जाएंगे। अडानी की नई बोली इंसॉल्वेंसी कानून के प्रावधानों के मुताबिक नहीं है। उसने कहा कि अडानी ने नई बोली के लिए जो समय चुना है, उससे इस रिक्वेस्ट फॉर रिजॉल्यूशन प्लान की सारी कवायद खराब हो जाएगी और रिजॉल्यूशन प्लान पेश करने के लिए हमारी व अन्य कंपनियों द्वारा की गई सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।

अब कहा जा रहा है कि कानूनी लड़ाई और नीलामी में देरी से बचने के लिए कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) अंतिम बोली लगाने की प्रक्रिया फिर से शुरू करेंगे। इससे कोई भी बोलीदाता प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे और DHFL को खरीदने के लिए वे नई या संशोधित बोली जमा कर सकेंगे। वैसे चाहे ओकेट्री की बोली चुनी जाए या अडानी की! कंपनी की करीब 60% का नुकसान होना तय है। DHFL पर 95 हजार करोड़ रुपए की स्वीकृत देनदारी है। बैंकों को लगभग 65,000 करोड़ रुपये की कर्ज राइट-ऑफ  करना होगा. यह किसी एक कम्पनी का अब तक का सबसे बड़ा राइट ऑफ होगा।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)