नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर में आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लॉ पत्रिका “जर्नल ऑफ लॉ एंड रिलिजियस अफेयर्स” का विमोचन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व केंद्रीय क़ानून और न्याय मन्त्री कपिल सिब्बल साहब ने कहा मुस्लिम समुदाय को विभिन्न मामलों पर प्रतीक्षा करने या प्रतिक्रिया देने के बजाय स्वयं क़दम उठाना चाहिए। उदहारण के लिए महिलाओं का नमाज़ के लिए मस्जिद में जाना। अनेक टकराव के मामलों में इज्मा और क़यास (सहमति और अनुमान) के मार्ग को शरीयत की सीमा में रहकर प्रयोग करना चाहिए।
लॉ जर्नल (पत्रिका) की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा करते हुए अपने मुख्य भाषण में बोर्ड के महासचिव और लॉ जर्नल के मुख्य सम्पादक मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी साहब ने अधिवक्ता श्री कपिल सिब्बल जी और श्री संजय हेगड़े को धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने कहा कि इस पत्रिका के विमोचन के द्वारा बोर्ड अपने पाठकों को क़ानून के महत्व और क़ानून के द्वारा समाज में शान्ति और इस्लामी शरीयत के प्रवर्तन से अवगत कराना चाहता है इसी प्रकार इसका एक मुख्य उद्देश्य उन भ्रांतियों (ग़लतफ़हमियों) और आपत्तियों को भी दूर करना है जो शरीयत के आदेशों से सम्बंधित समय-समय पर उठायी जाती हैं।
लॉ जर्नल के सम्पादक अधिवक्ता एम. आर. शमशाद ने पत्रिका के विमोचन के बाद कहा कि हम बुद्धजीवियों, अध्यापकों व क़ानून विशेषज्ञों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने आलेखों और विचारों के माध्यम से इस पत्रिका की उपयोगिता को बढ़ा सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस अवसर पर कहा कि बौद्धिक और अनुसन्धान कार्य के द्वारा हम जनता तक पहुँच सकते हैं, इस प्रकार की पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों की भ्रान्तियाँ दूर कर सकते हैं। भारत में अनेक क़ानून विशेषज्ञों ने पर्सनल लॉ के मुद्दे पर अनेक मूल्यवान परिवर्धन किए हैं। हमें अमेरिका की सिविल लिबर्टी यूनियन से सीखना चाहिए कि किस प्रकार उन्होंने अपने अथक प्रयासों से बराबरी के लिए संघर्ष और क़ानून के नियम एवं सिद्धान्त तैयार किये हैं।
All India Muslim Personal Law Board to Launch Journal of Law and Religious Affairs (JLRA). pic.twitter.com/lNL1GS2dIc
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) December 21, 2021
इस अवसर पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष और बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, बोर्ड के दूसरे उपाध्यक्ष मौलाना सय्यद अली मुहम्मद नक़वी, जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर जनाब सय्यद सआदत-उल्लाह हुसैनी, मौलाना असग़र इमाम सल्फ़ी अध्यक्ष जमीयत अहले हदीस और मौलाना मुफ़्ती मुकर्रम अहमद शाही इमाम फ़तेहपुरी मस्जिद ने भी संक्षिप्त भाषणों से कार्यक्रम को सुशोभित किया।
जमाल फ़ारूक़ी ने जस्टिस के.जी. बालकृष्णन (भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश), बदर दुर्रेज़ अहमद (पूर्व मुख्य न्यायाधीश) व उदय सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय) के संदेश पढ़ कर सुनाए और उपस्थितजनों को धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सय्यद क़ासिम रसूल इल्यास ने किया।