नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि उर्दू हमारे लिये न केवल एक भाषा है बल्कि साझी विरासत है इसलिए इसे देश के सभी नागरिकों तक पहुंचानी चाहिये और विशेष रूप से आधुनिक तकनीक का उपयोग इस भाषा के विकास और प्रगति के लिये किया जाना चाहिये। श्री धोत्रे ने शुक्रवार को राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद की गवर्निंग कौंसिल की 25 वीं वार्षिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए परिषद और निदेशक के प्रदर्शन पर संतोष व्यक्त करते हुये कहा कि उर्दू हमारे लिये न केवल एक भाषा है बल्कि साझी विरासत है। हमें उर्दू भाषा देश के सभी नागरिकों तक पहुंचानी चाहिये और विशेष रूप से आधुनिक तकनीक का उपयोग इस भाषा के विकास और प्रगति के लिये किया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अन्य भाषाओं के साथ साथ उर्दू भाषा के विकास और संर्वधन के लिए गंभीर है और यही कारण है कि सरकार की तरफ से जो नई शिक्षा नीति बनाई गई है उसमें उर्दू भाषा के विकास का विशेष रूप से ध्यान रखा गया है, क्योंकि उर्दू भारत की ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर शब्द इस देश की हर भाषा में पाये जाते हैं और स्वयं उर्दू में भी हिन्दुस्तान की अलग भाषाओं के शब्द मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत संविधान के आठवें अनुच्छेद में दर्ज उर्दू सहित सभी भाषाओं के विकास पर ध्यान दिया जायेगा और इस उद्देश्य से अकादमियों का गठन किया जायेगा। इसके साथ ही उनके विकास के लिये केन्द्र सरकार की तरफ़ से विशेष उपाय किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के बीच उर्दू भाषा को लोकप्रिय बनाने की विशेष तौर पर आवश्यकता है। कोई ऐसा प्रबन्ध किया जाना चाहिये कि जो लोग उर्दू लिपि और उर्दू शब्दों से अपरिचित है उनके लिये भी उर्दू के शब्दों का अर्थ समझना संभव हो सके।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उर्दू भाषा को शहरों के साथ गाँव गाँव तक ले जाने की आवयश्कता है और हिन्दुस्तान के कुछ ऐसे गाँवों को चिन्हित किया जाना चाहिये जहां परिषद की ओर से उर्दू में आकर्षक कार्यकर्मों का आयोजन किया जाये और वहां उर्दू भाषा के जानने और समझने वाले लोगों को प्रोत्साहित करके उनमें उर्दू पढ़ने लिखने के लिये रूचि पैदा करने के साथ उर्दू से लगाव पैदा किया जाये। उर्दू के विकास के लिये शिक्षा मंत्रालय को नये सुझाव दिये जायें जिससे उर्दू भाषा के तीव्र विकास के साथ उसके लिये नये संसाधन भी अपनाये जा सकें।
परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. शाहिद अख़तर ने राज्य शिक्षा मंत्री धोत्रे के अध्यक्षीय भाषाण के दौरान प्रस्तुत किये गये नये सुझाव का स्वागत किया और कहा कि परिषद के सक्रिय निदेशक डॉ अकील अहमद सभी सुझावों को अमल में लायेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके शासनकाल में परिषद का बजट दोगुने से भी अधिक हो गया है और निःसंदेह वर्तमान सरकार उर्दू के विकास के लिये गंभीर है।
परिषद के निदेशक डॉ अकील अहमद ने परिषद के कार्यसूची/एजेन्डा प्रस्तुत करने से पहले श्री धोत्रे, लोकसभा सांसद जगदम्बिका पाल, हंसराज हंस और राज्य सभा सांसद मुजीबुल्लाह और सभी सदस्यों का स्वागत किया।श्री अहमद ने सभी सदस्यों से उर्दू भाषा के विकास के लिये सुझाव परिषद को लिखित रूप से भेजे जाने के लिये आग्रह किया ताकि गर्वनिंग बॉडी में उसको अनुमोदन के लिये प्रस्तुत किया जा सके।
गवर्निंग कौंसिल के सदस्य मुजीबुल्ला ने अपने राज्य ओडिशा में उर्दू भाषा को लोकप्रिय बनाने पर विशेष रूप से जोर दिया जबकि डॉ ज़ाहिद तीमारपुरी ने हर राज्य में उर्दू अकादमी की स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।