रमज़ान चौधरी
मेवात की सरहद दिल्ली स्थित रायसीना हिल से शुरू हुआ करती थी। दिल्ली में शासक बदलते रहे, और मेवात भी दिल्ली से दूर होता चला गया। हालांकि यह दूरी लगभग 50 कि.मी. ही है, लेकिन मेवात के पिछड़ेपन को दूर करने के लिये लंबा सफर करना पड़ेगा। शिक्षा के क्षेत्र में मेवात का पिछड़ापन अक्सर इलाक़े की राजनीति का हिस्सा रहा है। मेवात में वैसी सुविधाएं नहीं हैं, जैसी दिल्ली एनसीआर के दूसरे क्षेत्रों को मिली हुई हैं। इसके बावजूद भी अगर सीमित संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए यहां के प्रतिभाशाली छात्र/छात्राएं सफलता की नई कहानी लिख रही हैं, तो वह क़ाबिल ए तारीफ है। बीते रोज़ नीट का रिजल्ट आया तो उसमें मेवात की बेटियों ने भी बाजी मारी। मेवात के पिछड़ेपन को दूर करने में बेटियां अहम किरदार अदा करेंगी, नीट में सफलता पर शमीमा, आयशा और भावना को विशेष तौर पर मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया है।
बीते कल व्यक्तिगत काम से रिठौड़ा हाउस,सोहना जाना हुआ तो मास्टर यूसुफ साहब ओर किफायत से बातचीत हुई तो शमीमा ओर आयशा के बारे ज़िक्र हुआ कि दोनों ने NEET इम्तिहान दिया हुआ है संभवतः शमीमा के 634 ओर आईशा के 632 नंबर का स्कोर रहेगा जिससे MBBS के दाखिले की संभावना किसी बेहतर मेडिकल संस्थान में होने उम्मीद दरकार रहेगी।
इसी बीच किफायत की बड़ी बेटी आयशा नाश्ता लेकर आ गई तो मजीद गुफ्तगू शुरू हो गई और इसी बीच किफायत ने अपनी छोटी बेटी अस्मा जो BAMS की पहली साल की छात्रा है को भी बुला लिया तो उनके साथ हमारे पारिवारिक रिश्तों,जिंदगी के उतार चढ़ाव,पढ़ाई लिखाई,इस्लाह माशरा ओर महिलाओं के सामाजिक उठान व सुरक्षा पर लंबी बातचीत हुई जिससे पता चला कि जिन बच्चो को हम बहुत कुछ सिखाना चाहते है उनसे हमको भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है,किफायत साहब ने जो अपने बच्चो को तरबियत ओर संस्कार दिए है वो बहुत ही आला दर्जे के है बच्चो की बोली में मिठास,तवज्जो,इज़्ज़त अफ़ज़ाई ओर सम्मान किसी बेहतर तरबियत का हिस्सा होता है।
आखिर में इस संवादादाता ने आयशा से पूछा कि क्या में मुस्तकबिल की एक सफल डॉक्टर से बात कर रहा हूं तो उन्होंने मुस्कुराकर बहुत एतमाद ओर यकीन से कहा कि जी बिल्कुल अंकल ओर शाम होते होते जब में दिल्ली से वापिस लौट रहा था तो मास्टर यूसुफ साहब का फोन आया कि आपकी दोनों बेटी शमीमा ओर आयशा का NEET का इम्तिहान पास हुआ है और शमीमा के उतने ही नम्बर आये है जितना उसने अंदाज़ किया था यानी 635 बल्कि आयशा के उम्मीद से 10 नम्बर कम यानी 622 आये है।
मैंने मास्टर जी को ढेर सारी मुबारकबाद दी जो बहुत खुश नज़र थे मेने उनकी खुशी को मापने की कोशिश तो अंदाज़ नही लगा पाया,वास्तव में खुशकिस्मत है वो मां बाप जिनकी औलादे उनको ऐसे मौके देकर असीम,बेइंतहा खुशी फराहम करती है जिनको मापा नही जा सकता है। मास्टर यूसुफ का एक बेटा शमीम भी नलहड़ मेडिकल कालेज से MBBS अंतिम साल का विद्यार्थी है।
(लेखक मेवात के जाने-माने समाजसेवी और सोशल एक्टिविस्ट हैं)