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भाषा की बाधा को पार कर इलाहाबाद का असद हाशमी कैसा बना केरल का टॉपर

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के एक 16 वर्षीय छात्र असद हाशिम ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से भाषा की बाधा को पार कर लिया है। हाशिम ने केरल एसएसएलसी परीक्षाओं में सभी विषयों में ए+ स्कोर किया है। असद कलूर में दारुल उलूम वीएचएसएस का छात्र है और एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है जो अपने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा के अवसरों की तलाश में उत्तर प्रदेश से केरल आया था।

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द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ असद हाशिम ने कहा कि, “मेरे माता-पिता, मोहम्मद हाशिम और महजबीन बानो मेरे जन्म के बाद यूपी के इलाहाबाद से केरल चले आए थे। वे एक ऐसी जगह आना चाहते थे, जहां हमें अध्ययन करने और अपने लक्ष्य हासिल करने के बेहतर अवसर प्रदान करे।”

असद डॉक्टर बनना चाहता है। उसने कहा कि उसकी उपलब्धि उसके शिक्षकों द्वारा प्रदान की गई सहायता के बिना संभव नहीं होती। घर पर केवल हिंदी बोलने वाले असद ने कहा, “मेरी शैक्षिक यात्रा की शुरुआत से, उन्होंने मलयालम सीखने में मेरी मदद की, हालांकि यह शुरू में बहुत चुनौतीपूर्ण था। जूनियर कक्षाओं में, मलयालम में मेरा प्रदर्शन बहुत खराब हुआ करता था, हालांकि अन्य सभी विषयों में मेरे अंक अच्छे थे।”

असद ने इस बाधा को दूर करने के लिए मलयालम में बेहतर अंक पाने के लिये इस भाषा पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। धीरे-धीरे, उनके अंकों में सुधार हुआ और कक्षा 10 में अपने मॉडल परीक्षाओं के लिए, उन्होंने 40 में से 38 और 37 अंक प्राप्त किए।

असद हाशिम ने कहा, “जब पढ़ाई की बात आती है, तो मेरे माता-पिता ने मुझे कभी पीछे नहीं रखा, मेरी बहन ने मुझे लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।” उनके पिता, मोहम्मद, गोश्त की दुकान चलाते हैं, यही उनकी जीविकोपार्जन का साधन है। उनकी बहन फलक बानो ने भी एसएसएलसी परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन पूर्ण ए+ का पूर्ण अंक प्राप्त नहीं कर सकीं। असद ने कहा, “उसने पांच विषयों में ए प्लस अंक हासिल किए हैं।”