कल्याण सिंह जी का निधन हो गया है। वे भाजपा के कद्दावर नेता थे, और यूपी के मुख्यमंत्री तथा राजस्थान के राज्यपाल रह चुके थे। वे एक अच्छे प्रशासक थे और अपनी प्रशासनिक क्षमता के लिये उनका कार्यकाल याद भी किया जाता है। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के गिरा देने के पहले, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दिया था कि, उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार विवादित स्थल पर उसकी पूरी सुरक्षा करेगी। यह वचन देने के बाद भी उनकी तत्कालीन सरकार उंस वचन का पालन न कर सकी। इस पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने प्रतीकात्मक सज़ा भी दी थी।
राजनीति भी अजीब चीज है। भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं की श्रेणी में आने के बाद, वे बाद में भाजपा से निष्कासित भी हुए। उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाई पर उन्हें अधिक सफलता नहीं मिल सकी। वे एक बार, अपने धुर वैचारिक विरोधी मुलायम सिंह यादव के करीब आये पर अंत वे और फिर भाजपा में ही वापस आ गए। वे कहते भी थे कि वे भाजपा के ही ध्वज में लिपट कर अपनी अंतिम यात्रा पर जाएंगे। एक लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ है।
उनका शव अंतिम दर्शन के लिये लखनऊ रखा गया है। उन्हें राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा रही है। पर यहीं पर इस अंतिम विदाई की व्यवस्था करने वालो से एक बड़ी भूल भी हो गयी है। उनका पार्थिव शरीर राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगे से ढंका है, और यह एक प्रोटोकॉल भी है। पर तिरंगे के ऊपर एक तरफ भाजपा का भी ध्वज फैलाया गया है। जिस किसी ने भी यह व्यवस्था की है, उसे देश के राष्ट्रध्वज से जुड़े कानून, नेशनल फ्लैग कोड 2002 की मूलभूत जानकारी तो होनी ही चाहिए थी।
भारतीय ध्वज संहिता 2002 में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में तरह तरह के निर्देश दिए गए हैं। इस ध्वज संहिता में सभी नियमों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक संहिताबद्ध किया गया है और इस ध्वज को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया है। संहिता के अनुसार, “किसी दूसरे ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा। ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।”
मूल धारा यहां पढ़े, 3.16 No other flag or bunting shall be placed higher than or above or, except as hereinafter provided, side by side with the National Flag; nor shall any object including flowers or garlands or emblem be placed on or above the Flag mast from which the Flag is flown.
देश के एक शीर्षस्थ राष्ट्रीय राजनेता के अंतिम विदाई और अंतिम दर्शन के अवसर पर फ्लैग कोड के नियमों का पालन न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा का ध्वज उनके पार्थिव शरीर पर रखा जा सकता था, पर किसी भी दशा में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के ऊपर नहीं।
(लेखक पूर्व आईपीएस हैं)