मुंबईः मुंबई में एक मजलिस को खिताब करने से पहले मौलाना ने एयरपोर्ट का प्रेस वार्ता की। यहां उन्होंने कई बुनियादी सवाल उठाए। पाकिस्तान में हुए शिया समुदाय पर बढ़ रहे हमलों के अलावा मौलाना ने देश में चल रहे किसान आंदोलन और एनआरसी के मुद्दे पर अपनी चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि जिस समय कोरोना और अर्थव्यवस्था पर बात होनी चाहिए थी उस समय कई राज्य सरकारें लव जिहाद के मसले में उलझी है। उन्होंने कहा कि सरकार का काम इंसानियत की बात करना और देश के समुचित विकास की योजनाएं तैयार करना है।
मौलाना यासूब अब्बास ने केंद्र सरकार से मांग की जात-पात और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर देशहित और जनहित में फैसले ले। उन्होंने कहा कि सरकार को सही फैसला लेने चाहिएं जिनसे देश मज़बूत हो न कि लोगों में बिखराव आए। चाहे वह किसान आंदोलन है या लव जिहाद हो या एनआरसीसी, सरकार के फैसले समाज में विखंडन पैदा करने वाले रहे हैं।
किसान आंदोलन पर बात करते हुए मौलाना ने कहा कि किसान इसी देश के नागरिक हैं। किसानों की राय भी सरकार को लेनी चाहिए और क़ानून में उनके बारे में सोचना चाहिए।
एनआरसी के मुद्दे पर मौलाना ने सरकार से गवर्नमेंट से कहा कि पहले लोगों के क़ाग़ज़ों में बावजह सरकारी कर्मचारियों की तरफ से की गई ग़लतियों पर ध्यान दे। जब आधार और वोटर लिस्ट में लोगों के नाम सही से दर्ज नहीं हैं तो फिर किस आधार पर वेरिफिकेसन की बातें हो रही हैं? लव जिहाद के मुद्दे पर भी यासूब अब्बास ना सरकार से आग्रह किया है के इंसानियत को रुसवा ना किया जाए और धर्म की राजनीति ना करके सरकार इंसानियत की बात करे। शादी करना लोगों का निजी फैसला है और मौरल पुलिसिंग सरकार का काम नहीं है।
मौलाना यासूब अब्बास ने पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को भी आड़े हाथों लिया। मौलाना ने कहा कि इमरान अपने देश में अल्पसंख्यकों की हिफाज़त करने में विफल रहे हैं। वहां सभी लोग अपने अधिकारों के लिए कोर्ट और जान बचाने के लिए दूसरे देश नहीं जा सकते। उन्होंने कहा कि इमरान खान को चाहिए इंसानियत को कत्लेआम से बचाया जाए और वह इसके लिए काम करें।