उत्तर प्रदेश के कानपुर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के 27वें कन्वेंशन का आयोजन हो रहा है। कानपुर के जाजमऊ में आयोजित इस दो दिवसीय कन्वेंशन में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नए अध्यक्ष का चुनाव भी संपन्न हुआ है। इस कन्वेंशन में वरिष्ठ इस्लामी धर्मगुरु मौलाना राबे हसनी नदवी को लगातार छठवीं बार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया है। वहीं, बोर्ड के उपाध्यक्ष पद पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी को चुना गया है। उनके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे शिया बुद्धिजीवी डॉक्टर सैयद अली नकवी को भी बोर्ड का उपाध्यक्ष चुना गया है, साथ ही मौलाना सैफुल्ला रहमानी को महामंत्री को चुना गया है।
बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सदस्यों के रूप में तीन महिलाओं फातिमा मुजफ्फर (तमिलनाडू) अतिया (दिल्ली) और डॉक्टर निकहत परवीन (लखनऊ) को भी शामिल किया गया है। इनके अलावा साबिर अहमद (कर्नाटक), मोहम्मद यूसुफ अली (असम), मुफ्ती मोहम्मद उबैदुल्ला असादी (बांदा), मौलाना बिलाल हसन नदवी नदवा और ताहिर हकीम एडवोकेट गुजरात को भी वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया है।
कौन हैं अली नक़वी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष चुने गए डॉक्टर अली मुहम्मद साहब का संबंध लखनऊ के इल्मी घराने से है। अली हिंदुस्तान के पहले मुज्तहिद दिलदार अली ग़ुफ़रानमाब (1753-1820) के हक़ीक़ी वारिसों में हैं।
जोश में होश खोने की जरूरत नहीं
इस मौके पर इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कहा उन्हें एकजुट होने की ज़रूरत है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो मौजूदा हालात का सामना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जोश में होश खोने की जरूरत नहीं है बल्कि हिकमत ए अमली से काम लेना जरूरी है। इस मौके पर मौलाना राबे हसन नदवी ने उम्मीद ज़ाहिर की कि बोर्ड के सदस्य अपने निजी स्वार्थ के लिए बोर्ड का इस्तेमाल नहीं करेंगे और कानपुर में हो रहे कन्वेंशन के बेहतर नतीजे सामने आएंगे।
हज़रत मौलाना सैय्यद अरशद मदनी साहब (अध्यक्ष जमीयत उलेमा-ए-हिंद) और प्रोफेसर सैय्यद अली मुहम्मद नकवी साहब (पूर्व प्रोफेसर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) आज कानपुर में हुई सत्ताईसवीं बैठक में सर्वसम्मति से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष चुने गए हैं।
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) November 21, 2021
सरकार को CAA को भी वापस लेना चाहिए
जमीअत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि किसानों का आंदोलन सीएए और एनआरसी के खिलाफ महिलाओं के चलाए गए शहीनबाग़ के आंदोलन से प्रेरित था कोरोना के कारण शाहीनबाग़ आंदोलन खत्म करना पड़ा। किसानों का आंदोलन इससे बड़ा साबित हुआ और उनकी हिम्मत ने कामयाबी दिलाई। मौलाना मदनी ने कहा कि जब कृषि कानून वापस हो सकते हैं तो सरकार को धार्मिक अल्पसंख्यकों का सम्मान करते हुए सीएए और एनआरसी भी वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा जनता की ताकत संसद की ताकत से बहुत बड़ी होती है। किसानों की तरह मुसलमान भी इसी देश के रहने वाले हैं आठ नौ साल हो गए पर हम सरकार के पास नहीं गए और ना सरकार ने हम से बात की।
Maulana Syed Arshad Madni Sahab (President of Jamiat Ulama-i-Hind) and Prof. Syed Ali Mohammad Naqvi Sahab (Former Professor of Aligarh Muslim University) are elected as Vice President’s of All India Muslim Personal Law Board at the 27th General Body Meeting held today in Kanpur.
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) November 21, 2021
बोर्ड ने दायरा ना बढ़ाया तो खतरे बढ़ेंगे
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने बताया कि उन्होंने बोर्ड से अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को ईमेल से एक पत्र भेजा है जिसमें उनसे बोर्ड दायरा बढ़ाने और सामाजिक मुद्दों को भी शामिल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी या ऐसे ही जो भी मुद्दे हैं जिसमें हमारे संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, उसे बोर्ड को अपने स्तर से देखना होगा।
حضرت مولانا سید ارشد مدنی صاحب (صدر جمعیۃ علماء ہند) اور پروفیسر سید علی محمد نقوی صاحب (سابق پروفیسر علی گڑھ مسلم یونیورسٹی) آج کانپور میں منعقدہ ستائیسویں اجلاس میں آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ کے نائب صدور منتخب کئے گئے ہیں۔
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) November 21, 2021
गौरतलब है कि कन्वेंशन के पहले दिन तीन सत्र हुए जिसमें बोर्ड के महासचिव सैफुल्ला रहमानी, अरशद मदनी, महमूद मदनी, असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना कल्बे जवाद, मेहमूद प्राचा, मोहम्मद सुलेमान, मौलाना अली अब्बास नजफी, आरिफ मसूद मौलाना ताल्हा कासिम रसूल इलियास और मोहम्मद अदीब समेत देशभर के 150 उलमा व दानिशवर हज़रात मौजूद थे। इसमें सात महिला सदस्यों ने भी शिरकत की।