मुजफ्फरनगरः अमीर-उल-हिंद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हजरत मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी के निधन के बाद, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्य समिति ने सर्वसम्मति से मौलाना सैयद महमूद असद मदनी को जमीयत उलमा-ए-हिन्द का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद की सेंट्रल काउंसिल ऑफ एक्शन के फैसले का स्वागत करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के पुराने लीडर हाफिज़ मोहम्मद फुरकान असअदी ने इसे जमीयत और समाज के पक्ष में एक अच्छा फैसला करार दिया, और अल्लाह से दुआ की है कि इसे देश और समाज के पक्ष में और अधिक उपयोगी बनाएं।
जमीयत उलेमा मुजफ्फरनगर के सचिव मौलाना मोहम्मद मूसा क़ासमी ने कहा कि हज़रत अमीर-उल-हिंद कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी के निधन से पूरे देश के मुसलमानों, खासकर जमीयत उलमा-ए-हिंद को बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि उनके निधन से दारुल उलूम देवबंद को बड़ा झटका लगा है, जमीयत कार्यसमिति ने एक शानदार और दूरदर्शी निर्णय लेकर जमीयत के नेता मौलाना सैयद महमूद असद मदनी को भारत के ऐतिहासिक और सुव्यवस्थित जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुनकर अच्छा निर्णय लिया है।
मौलाना मोहम्मद मूसा क़ासमी ने कहा कि निश्चित रूप से हजरत मौलाना महमूद मदनी की राष्ट्रीय और सामाजिक सेवाओं और जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा उनके कार्यकाल के दौरान देश भर में दी गई सेवाओं और संगठन को को अपना ओढ़ना बिछोना बनाकर जमीयत की सेवा करने वाला कोई बेहतर व्यक्ति नहीं है। उनकी सेवाएं इतिहास के सुनहरे अध्यायों में दर्ज हो गया है, हजरत मौलाना सैयद महमूद मदनी साहब और मौलाना हकीमुद्दीन कासमी को बधाई और शुभकामनाएं दीं हैं।
जमीयत उलमा-ए-हिंद यूपी के उपाध्यक्ष मौलाना जमालुद्दीन क़ासमी ने कहा कि जमीयत-ए-उलमा एक ऐतिहासिक संगठन है, जिसका नेतृत्व हमेशा मज़बूत लीडर ने किया है। इसके अलावा, मौलाना मोहम्मद जाकिर शाही इमाम, जमाल-उर-रहमान एडवोकेट, मौलाना मुहम्मद एहसान-उल-हक़ कासमी, कारी शोएब आलम, हाजी अजमल-उर-रहमान, हाजी आसिफ राही, मुफ्ती हुसैन अहमद, कारी शाह नवाज आलम और अन्य विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने इस कदम पर खुशी जाहिर की और बधाई दीं हैं।